ज्ञानवापी: लार्ड काशी विश्वेश्वर के पक्षकार बनने के मामले में कल होगी सुनवाई, 32 वर्ष पुराना है मुकदमा
अदालत में पक्षकार बनाने के मुद्दे पर काशी विश्वेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि 1291 फसली का खसरा फर्जी है। गलत तरीके से नाम चढ़ाकर पक्की नकल निकाली गई है। विजय शंकर ने कोर्ट यह भी अवगत कराया कि यह आज का मामला नहीं, बल्कि 1936 से पहले का किया गया है। 1936 में दीन मुहम्मद की ओर से दाखिल केस में भी 1291 की ओर से खसरा पेश किया गया था। तब अंग्रेजी हुकूमत ने वास्तविक नक्शा मंगवाया तो विश्वनाथ मंदिर लिखे शब्द को मिटाने का प्रयास किया गया था। अलग से 'मकबूजा अहले इस्लाम' लिखा गया था।
बताया कि खसरा में किसी अधिकारी का न तो आदेश था और न ही किसी का हस्ताक्षर। तत्कालीन न्यायालय ने भी इसे फर्जी करार दिया था। दीन मुहम्मद आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील में खारिज कर दी गई है। विजय शंकर ने आरोप लगाते हुए कोर्ट से दरख्वास्त किया कि फर्जी कागजात लगाकर मुकदमे में देरी की जा रही है। इसलिए इनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराने का आदेश दिया जाये। विजय शंकर ने 32 वर्ष बाद पक्षकार बनने पर भी सवाल उठाये। अभी इस पर बहस जारी रखा है।
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