‘ज्ञानवापी के फैसले ने आपस में विभाजन पैदा करने की कोशिश’ ज्ञानवापी मामले पर AIMPLB का बड़ा बयान

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वाराणसी। ज्ञानवापी मामले में एक ओर जहां हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई के लिए अगली तारीख दे दी है। वहीँ अब इस मामले में आल इंडिया मुल्सिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) का बयान सामने आया है। बोर्ड (AIMPLB) के सदस्यों की शुक्रवार को दिल्ली में बैठक हुई। जिसमें ज्ञानवापी मामले में जिला जज के ज्ञानवापी में पूजा के आदेश पर प्रश्न खड़े किए। 

मुस्लिम नेताओं ने ज्ञानवापी केस में आए वाराणसी कोर्ट के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई। मुस्लिम नेताओं की ओर से कहा गया कि कोर्ट के फैसले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह आपस में विभाजन पैदा करने की कोशिश है।

मुस्लिम नेताओं ने सवाल किया कि समाज में लोगों के बीच दूरी पैदा करने की कोशिश क्यों की जा रही है? कोर्ट ने व्यासजी तहखाना केस में जो फैसला दिया है, वह उचित नहीं है। फैसले से देश के 25 करोड़ मुसलमानों को झटका लगा है। मुस्लिम नेताओं ने कहा कि दूसरे पक्ष की बात भी सुना जाना जरूरी है। नेताओं ने दावा किया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाने की बात गलत है। इस्लाम में छीनी गई जमीन पर मस्जिद नहीं बन सकती है। इस प्रकार का प्रावधान है। ऐसे में इस प्रकार से दूरी पैदा करने की साजिश के मामले को अलग रूप दिया जा रहा है। बोर्ड ने इसकी निंदा की है।

ज्ञानवापी मस्जिद के व्यासजी तहखाना विवाद को लेकर एआईएमपीएलबी की ओर से बड़ा दावा किया गया है। मुस्लिम नेता ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हिंदू और मुस्लिम समाज के बीच इस प्रकार के मामले से दरार पैदा करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि वहां मस्जिद पहले से थी। मंदिर गिराकर मस्जिद बनाने की बात गलत है। इस्लाम में छीनी गई जमीन पर मस्जिद बनाने की मनाही है। ऐसे में इस प्रकार के दावे बिल्कुल निराधार हैं। इस प्रकार मुस्लिम पक्ष ने एक प्रकार से एएसआई के दावों को भी खारिज कर दिया है।

मुस्लिम नेता ने कहा कि देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जो हमारों सालों से मौजूद हैं। इन प्रसिद्ध मंदिरों की एक ईंट भी नहीं खिसकाई गई। इन वर्षों में मुस्लिम शासकों का भी राज देश में रहा। इसके बाद भी उन मंदिरों को नुकसान नहीं पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि अगर मुस्लिम शासकों की यह मंशा होती कि दूसरे धर्म के इबादतगाहों पर इस प्रकार से कब्जा कर लें तो क्या ये बचे होते? क्या दूसरे धर्मों की इबादतगाह मौजूद होती? उन्होंने कहा कि एक इतिहास गढ़ने की कोशिश की जा रही है। कोर्ट ने जल्दबाजी में फैसला सुनाया।
 

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