Gyanvapi Mosque : एक ही प्रकृति के 7 वादों को समेकित करने का आदेश

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने स्थानांतरण आवेदन को किया स्वीकार
कहा-सभी मामले स्थानांतरित होकर अदालत में आ जाएंगे तब देखा जाएगा
वाराणसी। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी से जुड़े सात मामलों की सुनवाई एक साथ एक ही अदालत में किए जाने सम्बंधी स्थानांतरण आवेदन को स्वीकार कर लिया। जिला जज ने आदेश में स्पष्ट किया है कि जब सभी मामले स्थानांतरित होकर जिला जज की अदालत में आ जाएंगे तब देखा जाएगा कि सभी मामले एक साथ सुने जाने योग्य हैं या नहीं। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 21 अप्रैल की तिथि निर्धारित कर दी है। अदालत ने धारा-24 के द्वारा विशेष अधिकार का प्रयोग करते हुए समेकित करने आदेश दिया है।
ज्ञानवापी से जुड़े शृंगार गौरी वाद की महिला वादिनियों लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, सीता साहू व मंजू व्यास ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर सात मामलों की सुनवाई एक साथ, एक ही अदालत में करने की मांग की थी। इस पर जिला जज की अदालत ने सोमवार को आदेश पारित किया है। जिला जज के 19 पेज के आदेश में कहा गया है कि जिन अदालतों में मामले लंबित हैं, उन्हें जिला जज की अदालत में स्थानांतरित किया जाता है। इन मामलों के स्थानांतरित होकर जिला जज की अदालत में आने के बाद इस बिंदु का निर्धारण किया जाएगा कि सभी वादों का एक साथ सुना जाना उचित है या नहीं। कहा कि अदालत वादों को एक साथ करने का निर्णय तभी लेगी, जब सभी वाद स्थानांतरित होकर इस अदालत में आएंगे।
सभी सातों वाद से संबंधित आवेदन स्वीकार किए जाने योग्य हैं। इसी के साथ जिला जज ने सभी वादों की पत्रावली को तलब करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 21 अप्रैल निर्धारित कर दी। जिला जज की अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के 2022 में दिए गए एक आदेश का हवाला दिया। कहा कि जनपद न्यायाधीश यह निर्धारित कर सकते हैं कि क्या इन वादों को एक साथ किया जाना उचित होगा। इस संबंध में सिविल प्रक्रिया संहिता कहती है कि जब दो या दो से अधिक वाद या कार्यवाही एक ही न्यायालय में लंबित है और कोर्ट की यह राय है कि न्यायहित में किया जाना उचित है, तब वह आदेश द्वारा सभी मामलों को एक साथ सुन सकेगा। दूसरी तरफ, जिला जज की अदालत को उपलब्ध कराई गई संबंधित सिविल जज सीनियर डिवीजन की आख्या में कहा गया कि उनके यहां जो मूल वाद लंबित हैं तो उन्हें स्थानांतरित किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। जिला जज की अदालत के इस आदेश से महिला वादिनियां व उनके अधिवक्ताओं ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने जल्द न्याय मिलने की उम्मीद जताई और कहाकि अब सभी मामलों में अलग-अलग तारीखों पर नहीं आना पड़ेगा।
उधर, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने मामलों की सुनवाई एक ही कोर्ट में किए जाने की मांग का विरोध किया था। कहा था कि 24 सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत महिला वादिनियों की तरफ से दिया गया स्थानांतरण आवेदन गलत तथ्यों पर आधारित है। इसे तूल देने की गरज से दाखिल किया गया है, जो निरस्त होने योग्य है। एक वाद में वादिनियां पक्षकार ही नहीं हैं। जबकि मूलवाद में वादिनी ने राहत मांगी है। दूसरे वाद में मांगी गई राहत अलग है।
जिन सात मामलों को स्थानांतरित कर एक साथ सुनवाई किए जाने का अनुरोध जिला जज की अदालत से किया गया है वह सभी एक ही प्रकृति की हैं। पहला मामला अविमुक्तेश्वरानंद, दूसरा मां शृंगार गौरी व अन्य, तीसरा आदि विश्वेश्वर व अन्य, चौथा आदि विश्वेश्वर आदि, पांचवां मां गंगा व अन्य, छठा सत्यम त्रिपाठी व अन्य और सातवां नंदी जी महाराज की तरफ से दाखिल वाद हैं। यह सभी वाद एक ही प्रकृति के बताए गए हैं। इनमें आराजी नंबर 9130 के स्वामित्व की मांग और ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी, आदि विश्वेश्वर व अन्य देवी देवताओं के राग भोग, दर्शन पूजन आदि की मांग नाबालिग देवता मानते हुए की गई है।
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