गंगा किनारे के भवनों के पुनर्निमाण व मरम्मत की गाइडलाइन बदली, उपाध्यक्ष ने दिए निर्देश
वाराणसी। गंगा किनारे के भवनों के पुनर्निर्माण व मरम्मत को लेकर विकास प्राधिकरण ने गाइडलाइन में बदलाव किया है। इसको लेकर उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने अधिकारियों संग मीटिंग की। इसमें उन्होंने नई गाइडलाइन पर चर्चा की। साथ ही इसका अनुपालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया। विकास प्राधिकरण में वर्तमान प्रचलित व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, सरलीकृत तथा समयबद्ध करने के लिए निस्तारण व्यवस्था में बृहद परिवर्तन किए गए हैं। गंगा नदी से 200 मीटर के दायरे में आने वाले भवनों पर यह गाइडलाइन लागू होगी।
जानिए बदली गाइडलाइन
1. गंगा नदी तट से 200 मीटर तक विद्यमान निजी भवनों के मरम्मत / पुनर्निर्माण के आवेदन हेल्पडेस्क के अतिरिक्त ज़ोनल कार्यालयों में सीधे जमा कराया जा सकेगा तथा हेल्पडेस्क पर जमा आवेदनों को तत्काल अगले कार्य दिवस को अनिवार्यतः ज़ोनल कार्यालय को प्राप्त कराया जाएगा।
2. आवेदनों के प्राप्त होने से अंतिम निस्तारण तक पत्रावलियों पर समस्त कार्यवाहियां संबन्धित ज़ोनल कार्यालय द्वारा की जाएगी।
3. पत्रावली में स्वामित्व पुष्टीकरण आख्या वार्ड अवर अभियंता द्वारा आवेदक द्वारा उपलब्ध कराये गये अभिलेखों के परिशीलन के बाद स्वयं प्रदान किया जायेगा, अपरिहार्य स्थिति में ज़ोनल अधिकारी तथा नगर नियोजक से उचित कारणों के आधार पर अनुमति प्राप्त करके ही पत्रावली अवाप्ति अनुभाग को स्वामित्व की आख्या हेतु प्रेषित की जा सकेगी।
4. आवेदनों की स्थल निरीक्षण आख्या में अवर अभियंता एवं ज़ोनल अधिकारी द्वारा आवेदन-पत्र के साथ जमा किये गये विद्यमान भवन का मानचित्र, भवन की लोकेशन का 'की-प्लान', साइट प्लान, स्थल पर मौजूद भवन का वर्तमान भू-आच्छादन, विद्यमान सेट-बैक, सभी तलों के प्लान, सेक्शन ऐलीवेशन, आदि का स्थल पर मौके की स्थिति का भौतिक सत्यापन करते हुये इस संबंध में स्पष्ट आख्या उपलब्ध करायी जाएगी।
5. मरम्मत / पुनर्निर्माण के आवेदनों का निस्तारण आवेदन जमा करने से 30 दिवस की अवधि के अंदर पूर्ण कर लिया जायेगा जिसकी समस्त ज़िम्मेदारी संबन्धित क्षेत्र के ज़ोनल अधिकारी की होगी।
6. आवेदन पत्र के अंतर्गत पूर्व की भांति अन्य अभिलेखों के अतिरिक्त अब नगर निगम की भूमि सम्मिलित न होने संबंधी प्रमाण पत्र भी संलग्न करना होगा।
वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा गंगा नदी तट (राजस्व/सिंचाई विभाग के अभिलेखों में अंकित) से 200 मीटर तक विद्यमान निजी भवनों के मरम्मत/पुनर्निर्माण के वित्तीय वर्ष 2023-24 में 23 तथा वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 19 आवेदनों को स्वीकृत किया गया है।
ऐसे कार्य जिनके लिए अनुमति आवश्यक नहीं
1. दीवारों पर सीमेंट प्लास्टर करना या प्लास्टर की आंशिक मरम्मत करना।
2. पुनः फर्श के निर्माण करना।
3. सफेदी एवं रंगाई-पुताई करना।
4. सैप्टिक टैंक अथवा सोक पिट का निर्माण करना।
5. हैण्ड पम्प लगाना।
6. मल-नालियों, पाईपों, केबिलों या अन्य उपकरण के नवीनीकरण तथा मरम्मत के लिए निर्माण कार्य।
7. सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने हेतु छत पर आवश्यक संरचनाओं का निर्माण करना।
इन कार्यों के लिए अनुमति जरूरी
1. नगर निगम द्वारा जारी चिठ्ठा अनुसार दिवारों का पुनर्निर्माण कार्य करना।
2. सम्पूर्ण भूखण्ड पर निर्मित भवन को गिराकर चिट्ठा अनुसार पुनर्निर्माण करना।
3. छत, बालकनी, बरामदे में पैरापेट का निर्माण।
4. भवन में सीमित तल क्षेत्रफल में बेहतर उपयोग अथवा वास्तु दोष के निराकरण हेतु आन्तरिक परिवर्तन किया जा सकेगा।
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