श्री काशी विश्वनाथ धाम में स्कंद षष्ठी, बलभद्र प्राकट्य और ललिता षष्ठी के अवसर पर भव्य आयोजन, किए गए विशेष अनुष्ठान

WhatsApp Channel Join Now

वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम में सोमवार को भगवान कार्तिकेय के तारकासुर पर विजय व् भगवान बलभद्र की प्राकट्य तिथि मनायी गई। इस अवसर पर न्यास के ओर से मंदिर में विशेष अनुष्ठान किये गये। ललिता घाट पर भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) की आराधना की गई और भगवान शेषनाग की आराधना के माध्यम से बलभद्र प्राकट्य उत्सव भी मनाया गया। 

shri kashi vishwanath dham

आज सनातन पौराणिक परंपरा के अनुसार एक महत्वपूर्ण तिथि है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) की तारकासुर पर विजय और द्वापर युग में श्री कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलभद्र (बलदेव जी) के प्राकट्य की तिथि के रूप में मनाया जाता है। शैव मत में स्कन्द षष्ठी और ब्रज में बलभद्र षष्ठी के रूप में यह तिथि उत्सवपूर्वक मनाई जाती है। इस दिन माता ललिता षष्ठी भी मनाई जाती है। 

shri kashi vishwanath dham

भगवान शेषनाग कैलाश पर्वत पर महादेव की सेवा में निरंतर व्यस्त रहते हैं और शेषनाग झील, जो कैलाश के निकट स्थित है, पौराणिक मान्यता के अनुसार शेषनाग का मूल स्थान है। भगवान स्कन्द महादेव से उत्पन्न हैं और उन्हें सात्विक शक्तियों के प्रमुख योद्धा देव सेनापति के रूप में पूजा जाता है। 

सोमवार की पूजा में श्री विश्वेश्वर के आरती श्रृंगार में भगवान शेषनाग के रजत छत्र से महादेव की उपस्थिति भी दर्शायी गई। भगवान शेषनाग ने त्रेतायुग में लक्ष्मण जी के रूप में अवतार लिया था। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास सभी सनातन परंपराओं को जीवंत और उल्लासित बनाए रखने के लिए सतत प्रयासरत है। 

पूजन और शोभायात्रा में न्यास के अर्चक, शास्त्री, अधिकारी, कार्मिक और काशीवासियों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। स्कंद षष्ठी, बलभद्र प्राकट्य और ललिता षष्ठी के इस महत्वपूर्ण अवसर पर सभी सनातन बांधवों और भगिनियों को अशेष शुभकामनाएं दी जाती हैं। भगवान स्कन्द की आराधना से सर्वविजय और भगवान शेषनाग की आराधना से श्री हरि विष्णु और महादेव की कृपा प्राप्त होती है, वहीं ललिता छठी की आराधना त्रिपुरसुंदरी स्वरूप में शाक्त तंत्र मार्ग की सर्वोच्च साधना मानी जाती है।
 

Share this story