नवरात्र की षष्ठी तिथि को देवी कात्यायनी की आराधना, कट जाते हैं मनुष्यों के सभी पाप, कन्याओं को मिलता है योग्य वर का आशीर्वाद

वाराणसी। नवरात्रि की षष्ठी तिथि को माता कात्यायनी की आराधना की जाती है। गुरुवार को भोर से ही काशी स्थित माता के मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। भक्त कतार में लगकर माता का दर्शन-पूजन कर रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि माता सभी तरह के पापों का नाश कर देती हैं। वहीं कन्याओं को योग्य वर का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
माता कात्यायनी देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में से एक मानी जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उनका नाम ऋषि कात्यायन से जुड़ा है, जिन्होंने घोर तपस्या कर माता को प्रसन्न किया। माता ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया और कात्यायनी नाम से प्रसिद्ध हुईं। ‘काशी खंड’ में माता कात्यायनी का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि वे काशी में अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए निवास करती हैं। काशी स्थित कात्यायनी देवी मंदिर शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
विशेष रूप से जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा हो, उन्हें माता कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए। इससे मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। माता को पीली वस्तुएं अत्यधिक प्रिय हैं, इसलिए जिन कन्याओं की शादी में बाधा आ रही हो, वे मंगलवार को हल्दी-दही का लेप, पीले फूल, पीले वस्त्र, एवं पीला प्रसाद अर्पित करें। इससे माता प्रसन्न होती हैं और विवाह के योग बनते हैं।
माता कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। उनका एक हाथ वर मुद्रा में, दूसरा अभय मुद्रा में, तीसरे हाथ में पुष्प कमल एवं चौथे हाथ में खड्ग सुशोभित है। माता का वाहन सिंह है, जो उनके शक्ति स्वरूप को दर्शाता है। जो भक्त श्रद्धा और भक्ति से माता की आराधना करते हैं, उन्हें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। माता अपने उपासकों को भय मुक्त कर शत्रुओं का नाश करती हैं।