बीएचयू में जेम टेस्टिंग लैब की शुरुआत, 10 मिनट में पता चल जाएगा कितना प्योर है बेशकीमती रत्न

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में एडवांस जेम टेस्टिंग लैब की शुरुआत हुई है। यहां सोना, चांदी, हीरा-पन्ना जैसे बेशकीमती पत्थरों की जांच होगी। मात्र दस मिनट में पता चल जाएगा आपका बेशकीमती रत्न कितना प्योर है। बीएचयू की ओर से रत्नों को सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। इससे भारत के रत्नों को ग्लोबल स्तर पर भी मान्यता मिलेगी।
पहले रत्नों की जांच के लिए सिंगापुर की लैब पर निर्भर रहना पड़ता था। बीएचयू लैब में वैज्ञानिकों, व्यापारियों समेत आमजन को आने की इजाजत होगी। वे अपने रत्न की क्वालिटी और प्योरिटी की जांच करा सकते हैं। इससे पता चलेगा कि डायमंड और गोल्ड की क्वालिटी क्या है, यह किस स्थान से आया है। धातु कितनी प्राचीन है। उसके अंदर कौन-कौन से एलिमेंट हैं और कितने कैरेट सोना है। इन सभी सवालों का जवाब मात्र 10 मिनट में मिल जाएगा। लैब में तीन मशीनें क्वालिटी चेक के लिए लगाई गईं हैं। टेस्टिंग से जुड़ी एक रेट लिस्ट जारी की गई है। जोकि https://www.sathibhu.org/cms/modus-operandi/30 लिंक पर अपलोड की गई है। यहां पर BHU के रिसर्च-प्रोफेसर, नॉन-BHU के साइंटिस्ट और इंडस्ट्री इन सबके लिए अलग-अलग रेट तय किए गए हैं। लैब में कार्यरत साइंटिस्ट डा. विवेक कुमार पांडेय ने बताया कि यहां पर लगी टेस्टिंग मशीन आपके बेशकीमती रत्न का नैनो टुकड़ा लेकर उसे गैस फॉर्म में कनवर्ट करता है। इसके बाद उस पर इलेक्ट्रौ मैग्नेटिक लेजर मशीन ये तरह-तरह की किरणें गुजारी जाती हैं। इसके बाद उस धातु पर आए इफेक्ट को डिस्प्ले कर एनालिसिस की जाती है।
विज्ञान संस्थान के डायरेक्टर प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी ने बताया कि 125 करोड़ रुपए से बने सेंट्रल डिस्कवरी सेंटर में इस लैब को स्थापित किया गया है। यह सबसे एडवांस लैब है। बनारस के अलावा सूरत, पुणे, जयपुर आदि जगहों पर हैं, मगर BHU की लैब सबसे एडवांस होगी। यहां तक कि जो जांचें इन लैब्स में नहीं हो सकती थी, उसके लिए विदेश में जाना होता था। BHU की ओर से उद्यमियों को जारी प्योरिटी और क्वालिटी का सर्टिफिकेट दुनिया भर में मान्य होगा। कोई भी इसकी क्वालिटी पर सवाल नहीं खड़े कर सकता। इससे फायदा यह होगा कि हम विदेशी बाजार में भारत में बने रत्नों को एक्सपोर्ट कर सकेंगे।
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