सपा सरकार के पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति को फिर नही मिली राहत, निगरानी याचिका खारिज

gayatri prajapati

वाराणसी। समाजवादी पार्टी की सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति की निगरानी याचिका भी सोमवार को कोर्ट ने खारिज कर दी। सत्ता में रहकर मलाई काटनेवाले इस पूर्व मंत्री को राहत मिलती नही दिखाई दे रही है। वसूली की आदत ऐसी पड़ी थी कि वर्ष 2014 में पास हुए टेंडर का कमीशन चार साल बाद मांग रहे थे। इस मामले में वादी की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे को डिस्चार्ज करने सम्बंधित गायत्री प्रजापति की एक याचिका पिछले 25 नवम्बर को लोअर कोर्ट पहले भी खारिज कर चुकी है। इसके बाद उनकी ओर से निगरानी याचिका दाखिल की गई थी।

विशेष न्यायधीश एमपी/एमएलए कोर्ट अवनीश गौतम ने पूर्व मंत्री की निगरानी याचिका पर कहा कि अवर न्यायालय के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है। इसलिए यह याचिका खारिज किये जाने योग्य है। न्यायाधीश ने कहा कि आरोप तय करने के लिए साक्ष्य की प्रमाणिकता और विश्वसनीयता की आवश्यकता नहीं है। विवेचना के दौरान विवेचक ने पर्याप्त साक्ष्य पाया है। उस आधार पर अवर न्यायालय ने आरोप तय करने के आदेश जारी किया है जो विधि और कानूनी नजीरों के अधीन और अनुरूप है। गौरतलब है कि 9 जून 2018 को गोदौलिया के रहनेवाले अरविंद तिवारी ने दशाश्वमेध थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

बताया कि उसके मोबाइल पर एक काल आई। काल करनेवाले ने खुद को खनन मन्त्र गायत्री प्रजापति बताया और 2014 में पास किए गए टेंडर का कमीशन मांगा। यह भी कहाकि लखनऊ आकर मिलो। इस पर अरविंद तिवारी ने कहाकि टेंडर तो केंद्र सरकार ने रद्द कर दिया तो कमीशन कैसा ? इस पर गायत्री ने अंजाम भुगतने की धमकी दी थी।
 

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