गौतम बुद्ध ने जनजीवन के कल्याणार्थ अपना जीवन समर्पित किया- डा. अर्पिता चटर्जी 

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वाराणसी। उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग की क्षेत्रीय पुरातत्त्व इकाई व लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय में ‘भारत के प्रमुख बौद्ध स्थलों‘ पर आधारित छायचित्र प्रदर्शनी व ‘बुद्धचरितः एक पुनरावलोकन‘ विषयक व्याख्यान का अयोजन किया गया।

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प्रदर्शनी में लुंबिनी, कपिलवस्तु, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर, वैशाली, राजगीर, कौशांबी, श्रावस्ती, संकिशा, सांची, नालंदा, विक्रमशिला, रामपुरवा, लौरियानंगढ़ आदि महत्त्वपूर्ण स्थलों के लगभग 50 छायाचित्र प्रदर्शित किए गए। इसके अलावा व्याख्यान में बुद्ध के जीवन चरित पर परिचर्चा की गई । मुख्य वक्ता डा. अर्पिता चटर्जी ने शाक्य कुमार सिद्धार्थ के शाक्यमुनि से बुद्ध होने और तदोपरांत आजीवन जनकल्याण में सदधर्म के प्रचार-प्रसार की दीर्घ प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डाला।

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डा. चटर्जी ने बताया की बौद्ध परम्परा में बुद्ध से पूर्व बोधिसत्त्व की अवधारणा से सद्धर्म के दीर्घकालीन परंपरा की सूचना मिलती है, जिसने बुद्ध में पूर्णता प्रदान की। गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद आजीवन देश भ्रमण करते हुए सामान्य जनजीवन के कल्याणार्थ अपना जीवन समर्पित किया। उन्होंने यह संदेश दिया की मध्यम मार्ग ही मनुष्य के लिए श्रेष्ठ है।  अध्यक्षता पद से प्रो. मारूति नन्दन प्रसाद तिवारी ने भगवान बुद्ध के पदचिह्नों के अनुसरण की महत्ता पर प्रकाश डाला।  प्रदर्शनी का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर बुद्ध प्रतिमा पर पुष्पांजलि कर किया।

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कार्यक्रम का संयोजन, अतिथियों का स्वागत व धन्यवाद ज्ञापन क्षेत्रीय पुरातत्त्व अधिकारी डा. सुभाष चन्द्र यादव ने और संचालन डा. सुजीत कुमार चौबे ने किया। इस अवसर पर डा. अर्चना शर्मा, डा. स्वतंत्र सिंह, डा. राजेश कनौजिया, डा. राजीव जायसवाल, डा. हरेंद्र नारायण सिंह, अनिरुद्ध पांडेय, बलराम यादव, प्रशांत राय, सोमा चक्रवर्ती, तापस दास, महेंद्र लाल, मनोज कुमार, संतोष सिंह, विवेक यादव, वंदना गुप्ता आदि रहे।
 

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