सावन तक शिव के माथे पर प्रवाहित होगी गंगधार, महादेव को वैशाख व जेठ की तपन से बचाने के जतन 

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वाराणसी। बैशाख व जेठ की तपन से महादेव को बचाने के लिए अब उनके माथे पर सावन तक गंगधार प्रवाहित होती रहेगी। अक्षय तृतीया से श्री काशी विश्वनाथ धाम में बाबा के माथे पर जलधरी की शुरूआत हुई। यह परंपरा काशी के अन्य शिवालयों में भी निभाई गई। अब सावन पूर्णिमा तक बाबा के माथे पर अनवरत बाबा के माथे पर गंगधार प्रवाहित होती रहेगी। 

सोमवार को श्री विश्वनाथ धाम में मंगला आरती से पहले जलधरी लगाई गई। मान विधान के अनुसार बाबा का शीतल श्रृंगार किया गया। शिवलिंग के ऊपर लगी जलधरी से दिन-रात अनवरत गंगा जल की फुहारें पड़ती रहेंगी। 

अक्षय तृतीया पर सवा तीन लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन 
अक्षय तृतीया पर बाबा के दर्शन को भक्तों की भीड़ उमड़ी। देर शाम तक लगभग सवा तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। इसके अलावा गौरी केदारेश्वर, जागेश्वर महादेव, तिलभांडेश्वर महादेव, मणि मंदिर, सारंगनाथ समेत अन्य शिवालयों में भी जलधरी की परंपरा निभाई गई। 

श्री हरि के बद्रीनारायण स्वरूप का श्रृंगार 
श्री काशी विश्वनाथ धाम स्थित श्री हरि विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप का भव्य श्रृंगार किया गया। शहर के विष्णु मंदिरों में भी भगवान श्री हरि को चंदन का लेप लगाया गया। 21 दिनों तक भगवान विष्णु को चंदन का लेप लगाया जाएगा। श्रद्धालुओं ने लक्ष्मीनारायण का विधिविधान से पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

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