वाराणसी में वार्निंग लेवल के करीब पहुंचा गंगा का जलस्तर, तटवर्ती इलाकों में खतरा, प्रशासन अलर्ट 

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वाराणसी। गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को जलस्तर वार्निंग लेवल के करीब पहुंच गया। इससे घाटों के किनारे रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अस्सी घाट पर जलस्तर में वृद्धि के कारण आरती स्थल को चार बार बदलना पड़ा है। पिछले दो दिनों से पानी की रफ्तार इतनी तेज है कि सुबह ए बनारस के मंच पर भी पानी भर गया। जय मां गंगा सेवा समिति के कार्यालय से सारा सामान हटा लिया गया है, क्योंकि वहां भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। घाटों पर घूमने आए पर्यटक निराश हो रहे हैं, क्योंकि घूमने की जगहें अब पानी में डूब चुकी हैं। शाम के वक्त नाव संचालन पर रोक लगा दी गई है, और जलस्तर अभी भी तेजी से ऊपर चढ़ रहा है।

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घाट पर रहने वाले स्थानीय निवासी विकास कुमार ने बताया कि गंगा का जलस्तर इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि आरती स्थल के अलावा कार्यालय में रखा सामान भी हटाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, "यहां प्रतिदिन लोगों के लिए भोजन बनाया जाता है, जहां अनाज रखा था, वह जगह भी पानी से भर गई है। इससे काफी नुकसान हो रहा है।" विकास जैसे कई लोग अब अपने घरों और दुकानों को बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं। गंगा के किनारे बसे इलाकों में लोग भयभीत हो गए हैं, क्योंकि जलस्तर वार्निंग लेवल के करीब पहुंच चुका है।

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नाविकों की आजीविका भी प्रभावित हुई है। पहले गंगा आरती के दौरान नाविक लोग नावों और बजड़ों पर पर्यटकों को बिठाकर आरती दिखाते थे, लेकिन अब जल पुलिस ने इस पर रोक लगा दी है। जल पुलिस प्रभारी ने नागरिकों के साथ बैठक कर अग्रिम आदेश तक नावों में यात्रियों को बिठाने पर पाबंदी लगा दी है। इससे नाविकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है, क्योंकि पर्यटन सीजन में यह उनकी मुख्य कमाई का स्रोत था।

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प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। घाटों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है, और बाढ़ राहत टीमों को तैयार रखा गया है। मानसून की भारी बारिश के कारण गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है, और यदि यह रफ्तार जारी रही तो और अधिक इलाके प्रभावित हो सकते हैं। स्थानीय निवासियों की मांग है कि सरकार जल्द राहत कार्य शुरू करे। इस स्थिति ने वाराणसी की सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों को भी प्रभावित किया है, जहां गंगा आरती शहर की पहचान है। प्रशासन की ओर से निगरानी बढ़ाई गई है, ताकि कोई अनहोनी न हो।

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