वाराणसी में तीसरी बार चेतावनी बिंदु के पार पहुंचा गंगा का जलस्तर, घाट जलमग्न, कॉलोनियों में बाढ़ का पानी, खत्म नहीं हो रही परेशानी 

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वाराणसी। मां गंगा एक बार फिर उफान पर हैं। तीसरी बार गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु को पार कर गया। इससे वाराणसी समेत आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, रविवार को गंगा का जलस्तर 70.35 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर से ऊपर है। मौजूदा समय में गंगा का जलस्तर 2.5 से 3 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। डेंजर लेवल 71.262 मीटर है और लगातार हो रही वृद्धि प्रशासन और स्थानीय निवासियों की चिंता बढ़ा रही है।

Ganga Flood

घाट जलमग्न
लगातार बढ़ते पानी के कारण घाटों का एक बड़ा हिस्सा जलमग्न हो चुका है। अस्सी घाट पूरी तरह पानी में डूब गया है। रामेश्वर मठ से भागवत महाविद्यालय के पीछे और जगन्नाथ गली से अस्सी घाट जाने वाला मार्ग बैकफ्लो के चलते जलमग्न हो चुका है। नगवा दलित बस्ती के सामने मुख्य मार्ग भी डूब गया, जिससे आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है। संगमपुरी कॉलोनी, गंगोत्री विहार, महेश नगर और केदार नगर कॉलोनी में भी बाढ़ का असर स्पष्ट दिखने लगा है।

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प्रशासन ने बनाए राहत शिविर
हालात बिगड़ने की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने नदी किनारे रहने वाले परिवारों के लिए आठ राहत शिविर दोबारा सक्रिय कर दिए हैं। नगवा प्राथमिक विद्यालय में बने राहत शिविर को भी खोल दिया गया है, हालांकि अभी वहां विस्थापित लोग नहीं पहुंचे हैं। अधिकारियों ने कहा कि जैसे ही स्थिति गंभीर होगी, प्रभावित परिवारों को वहां शिफ्ट किया जाएगा।

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लगातार बढ़ोतरी से जनजीवन प्रभावित
पिछले दो महीनों से गंगा के बार-बार बढ़ते जलस्तर ने तटवर्ती इलाकों के लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर गहरा असर डाला है। बीते 55 दिनों से गंगा घाटों पर नौका संचालन पूरी तरह बंद है। नाविकों का कहना है कि रोज कमाई बंद होने से परिवार का खर्च उठाना बेहद मुश्किल हो गया है। श्रद्धालुओं की प्रसिद्ध गंगा आरती भी प्रभावित हुई है। सामान्य दिनों में जहां करीब 50 हजार लोग घाट पर उपस्थित रहते थे, वहीं अब केवल 50 से 100 लोगों की सीमित उपस्थिति में छतों पर आरती कराई जा रही है।

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पर्यटन और व्यापार पर असर
सितंबर महीना वाराणसी के लिए पर्यटन दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। गंगा घाटों पर पर्यटकों की भीड़ से स्थानीय व्यापारियों और नाविकों को बड़ी उम्मीदें रहती हैं। लेकिन इस बार जलस्तर बढ़ने से न केवल पर्यटन गतिविधियाँ प्रभावित हुई हैं बल्कि हजारों परिवारों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि हर बार स्थिति सामान्य होने के बाद अचानक जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे जनजीवन पटरी पर नहीं आ पा रहा।

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