वाराणसी में खतरे के बिंदु के करीब गंगा, घाटों को डुबाते सड़कों, गलियों तक पहुंचा पानी, बाढ़ से 15 गांव और 10 मोहल्ले प्रभावित 

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वाराणसी। गंगा का जलस्तर शनिवार की शाम खतरे के बिंदु के करीब पहुंच गया। घाटों को डुबाते हुए सड़कों और गलियों तक गंगा पहुंच गई हैं। बाढ़ से 15 गांव और 10 मोहल्ले प्रभावित हैं। कॉलोनियां जलमग्न होने लगी हैं। ऐसे में तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। जिला प्रशासन की ओर से बाढ़ राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। 

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उच्चतम स्तर तक पहुंच सकता है जलस्तर
केंद्रीय जल आयोग की बाढ़ बुलेटिन के अनुसार शनिवार की शाम 6 बजे गंगा का जलस्तर 71.13 मीटर रिकार्ड किया गया, जो खतरे के निशान से मात्र 13 सेंटीमीटर नीचे है। तीन घंटे प्रति घंटे की रफ्तार से जलस्तर में वृद्धि हो रही है। ऐसे में कुछ घंटों में ही जलस्तर खतरे के बिंदु को पार कर सकता है। केंद्रीय जल आयोग ने देश के अन्य हिस्सों में लगातार बारिश को देखते हुए जलस्तर से उच्चतम स्तर तक पहुंचने की आशंका जताई है। वहीं लोगों भी इसको लेकर सशंकित है कि गंगा इस बार 1978 के 73.91 मीटर के रिकॉर्ड को तोड़ सकती हैं। 

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15 गांव 10 मोहल्ले प्रभावित
नमो घाट से लेकर सामने घाट तक जलमग्न हो चुके हैं। रामनगर शास्त्री घाट भी जलमग्न हो चुका है। वहीं किले की तरफ पानी बढ़ रहा है। गंगा के बढ़ते जलस्तर ने वाराणसी के 15 गांवों और शहर के 10 मोहल्लों को प्रभावित किया है। अब तक 436 परिवार अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण ले चुके हैं। नगवा नाला से पानी घुसने के कारण रामेश्वर मठ के पीछे से लेकर भागवत विद्यालय तक की गलियों में रहने वाले 6 परिवारों को राहत शिविरों में विस्थापित किया गया है। नगवा हरिजन बस्ती और सोनकर बस्ती में भी पानी प्रवेश करने की आशंका है, जिसके चलते लोग अपना सामान समेटकर सुरक्षित स्थानों पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। नगर निगम ने इन क्षेत्रों से लोगों को निकालने के लिए तीन नावें तैनात की हैं।

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संगमपुरी कॉलोनी और विश्व सुंदरी पुल के नीचे पानी
संगमपुरी कॉलोनी के मुख्य मार्ग और विश्व सुंदरी पुल के नीचे पानी भर गया है। महामृत्युंजय मंदिर के ऊपरी हिस्से तक पानी पहुंच चुका है। सामने घाट के अपने घर आश्रम में निचले हिस्से में पानी घुसने से 114 अशक्त लोगों को वहां से हटाया गया है। गंगा के तटवर्ती इलाकों में सब्जी की फसलें डूब रही हैं, और पशुपालकों के लिए भी मुश्किलें बढ़ रही हैं।

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मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह में परेशानी
मणिकर्णिका घाट की गलियों में पानी भरने से नाव चल रही हैं, और शवदाह के लिए छतों और गलियों का उपयोग हो रहा है। बाबा मसाननाथ सेवा समिति के संजय गुप्ता ने बताया कि शवयात्रियों को 30-40 मिनट का इंतजार करना पड़ रहा है। हरिश्चंद्र घाट पर भी जगह की कमी हो रही है, और घाट के सभी मंदिर पानी में डूब चुके हैं। अस्सी घाट पर गंगा आरती अब मुख्य मार्ग से हो रही है, क्योंकि घाट पानी में डूब गया है। तीर्थ पुरोहितों ने बताया कि गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है और जल्द ही सड़क मार्ग तक पहुंच सकता है, जिससे उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है।

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राहत और बचाव कार्य में जुटा प्रशासन
प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। राजस्व विभाग बाढ़ग्रस्त इलाकों का निरीक्षण कर लोगों को सुरक्षित निकालने का इंतजाम कर रहा है। सिंचाई विभाग ने संगमपुरी कॉलोनी में पानी निकालने के लिए 6 मोटर पंप लगाए हैं। ज्ञान प्रवाह नाले पर चैनल गेट लगने से पानी कॉलोनी में प्रवेश नहीं कर पा रहा है। हालांकि, नगवा नाले पर बना पुल गंगा के जलस्तर से टकरा रहा है, और आसपास के कई घर पानी की चपेट में आ चुके हैं।

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केंद्रीय जल आयोग की चेतावनी
केंद्रीय जल आयोग ने चेतावनी दी है कि इस साल गंगा रिकॉर्ड तोड़ सकती हैं। गंगा और वरूणा नदियों में पलट प्रवाह के कारण तटीय बस्तियों की स्थिति गंभीर हो रही है। अगर जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो गंगा किनारे रहने वाले लोगों की मुश्किलें और बढ़ेंगी। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।

तस्वीरें ... 

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