गंगा महोत्सव : राजघाट पर बही सुरों की गंगा, मालिनी अवस्थी की प्रस्तुतियों पर झूमे काशीवासी
वाराणसी। राजघाट पर आयोजित गंगा महोत्सव की तीसरी निशा में सुरों की गंगा बही। पद्मश्री मालिनी अवस्थी की यादगार प्रस्तुतियों पर काशीवासी झूम उठे। उन्होंने डेढ़ घंटे के अपने गायन में लोकगीतों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी।

सोमवार की रात साढ़े आठ बजे मालिनी अवस्थी मंच पर पहुंचीं। उन्होंने बाबा विश्वनाथ, गंगा और काशी की जनता से आशीर्वाद प्राप्त कर अपने गायन की शुरुआत की। डम-डम डमरू बजावे हमार जोगिया पर श्रोताओं ने हर-हर महादेव का उद्घोष किया। वहीं गोपालगंज के रसूल मियां की रचना गमकता जगमगाता है अनोखा राम का सेहरा... जो देखा है वो कहता है रमेति राम का चेहरा.. सुनाया तो पूरा माहौल राममय हो गया। उन्होंने सइयां मिलल लड़कइयां से अपने गायन को विराम दिया। इसके अलावा अनलेश शुक्ल, आस्था शुक्ला समेत अन्य कलाकारों ने प्रस्तुतियां दीं। अलीशा मिश्रा ने तबला वादन की प्रस्तुति दी। शांभवी सेठ और मांडवी सिंह ने कथक नृत्य से समां बांधा।

हंसराज रघुवंशी बिखेरेंगे सुरों का जादू
गंगा महोत्सव में मंगलवार की शाम हंसराज रघुवंशी का भजन गायन, अदिति का भरतनाट्यम, डॉ. शुभांकर डे का गायन, डॉ. प्रेम किशोर मिश्र व साथी की सितार व सरोद की जुगलबंदी व गायन, राहुल-रोहित मिश्र का गायन, रूपन सरकार समंता का गायन, वासुमती बद्रीनाथ का गायन, शिवानी मिश्रा का कथक और मानसी रघुवंशी के गायन की प्रस्तुतियां होंगी।
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