वाराणसी में खतरे के बिंदु के करीब गंगा, आसपास के इलाकों में पानी, बाशिदों की बढ़ी परेशानी
वाराणसी। गंगा मानसून सीजन में तीसरी बार चेतावनी बिंदु को पार कर गईं। बढ़ता जलस्तर प्रशासन और आमजन के लिए चिंता का सबब बन गया है। हालात यह हैं कि जलस्तर अब खतरे के निशान के करीब पहुंच चुका है। निचले इलाकों में रहने वाले लोग अपने घर छोड़कर बाढ़ राहत शिविरों और सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं।

केंद्रीय जल आयोग की बुलेटिन के अनुसार, सोमवार को गंगा का जलस्तर 70.28 मीटर था। मात्र 12 घंटे में इसमें 24 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई और मंगलवार सुबह 8 बजे यह 70.71 मीटर पर पहुंच गया। आंकड़े बताते हैं कि जलस्तर में हर घंटे औसतन दो सेंटीमीटर की वृद्धि हो रही थी।

गंगा का पानी बढ़ने से घाट पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। दशाश्वमेध घाट की सीढ़ियां पानी में समा चुकी हैं और अब वहां सड़क पर लहरें उठने लगी हैं। अस्सी घाट की सड़क पहले ही डूब चुकी है। मणिकर्णिका घाट की गलियां भी जलमग्न हो गई हैं। यहां शवों को नाव के सहारे श्मशान स्थल तक ले जाया जा रहा है। कई स्थानों पर शवदाह का कार्य छतों और ऊंचे प्लेटफार्म पर किया जा रहा है।

हरिश्चंद्र घाट की गलियों में भी पानी भरा हुआ है, बावजूद इसके यहां चिताएं जल रही हैं। बढ़ते जलस्तर के कारण शवदाह स्थलों पर भीड़ और प्रतीक्षा की स्थिति बन गई है। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट दोनों पर अंतिम संस्कार कराने वालों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।

लगातार चढ़ते जलस्तर ने घाटवासी और स्थानीय लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। हालात यह हैं कि कई घरों में पानी घुस गया है और लोग ऊंचाई की ओर पलायन कर रहे हैं। प्रशासन की ओर से राहत और बचाव के इंतजाम किए जा रहे हैं, लेकिन गंगा में उफान के सामने नाकाफी साबित हो रहे हैं।





