काशी में 10 जून को मनाई जाएगी वैनायिकी गणेश चतुर्थी, गणपति की आराधना से समस्त मनोरथ होंगे पूर्ण

bada ganesh ji
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वाराणसी। हिंदू सनातन धर्म में पौराणिक मान्यता के अनुसार 33 कोटि देवी-देवताओं में भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य देव माना जाता है। सर्व विघ्न विनायक अनंतगुण विभूषित बुद्धि प्रदायक, सुखदाता, मंगलमूर्ति भगवान गणेशजी की महिमा अपार है। 

प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारंभ में श्रीगणेश का स्मरण व उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। वरदे वैनायिकी गणेश चतुर्थी के दिन की गई पूजा से सुख सौभाग्य की प्राप्ति के साथ ही मनोकामना की भी पूर्ति होती है। प्रसिद्ध ज्योतिषविद् पं. विमल जैन के मुताबिक ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 जून रविवार को दिन में 3:45 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन सोमवार 10 जून को सायं 4:16 मिनट तक रहेगी। इस दिन गणेश भक्त व्रत-उपवास रख कर गणेशजी की विधि विधान पूर्वक पूजा-अर्चना करेंगे। 

संकष्टी गणेश चतुर्थी के दिन प्रात:काल ब्रह्म मुहुर्त में उठ कर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर अपने देवी-देवता की पूजा अर्चना करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन गणेशजी को दुर्वा व मोदक आदि अर्पित करना चाहिए। साथ ही साथ मनोरथ पूर्ति के लिए गणेश से संबंधित पाठ करना चाहिए। गणेशजी से संबंधित मंत्र का जाप करना लाभकारी रहता है। गणेश अथर्वशीर्ष का प्रात:काल पाठ करने से समस्त पापों का नाश होता है। संध्या समय पाठ करने पर दिन के सभी पाप नष्ट होते हैं। 

इस दिन काशी के समस्त गणेश मंदिरों में भीड़ उमड़ेगी। शिव की नगरी काशी में गणपति की आराधना से माहौल भक्तिमय होगा। इसके साथ ही माला-फूल दूर्वा आदि का बाजार टाइट होगा। 
 

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