Ganesh Chaturthi: शिव की नगरी में पुत्र की जय-जयकार, गणेश चतुर्थी पर बप्पा के दर्शन को मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु
वाराणसी। सात वार और नौ त्योहारों की नगरी काशी में श्री गणेश चतुर्थी के अवसर पर मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। आज सुबह से ही काशी के गणेश मंदिरों में व्रती महिलाएं पूजा-अर्चना करती हुई नजर आ रही हैं। माघमास कृष्णपक्ष की संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी के इस पवित्र अवसर पर महिलाएं पुत्र की सुख और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।

यह व्रत 17 घंटे लंबा होता है, और श्रद्धालु चंद्रोदय के समय अर्घ्य देकर अपना व्रत समाप्त करेंगे। इस साल चंद्रोदय रात 8:52 बजे होगा। काशी के 56 विनायक सहित सभी गणेश मंदिरों में दर्शन और पूजन के लिए भक्तों की भीड़ देखी जा रही है।

दर्शन के लिए लंबी कतारें
इस विशेष दिन पर दुर्ग विनायक गणेश मंदिर और सोनारपुर स्थित चिंतामणि गणेश मंदिर में भी भक्तों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। लोग बारी-बारी से मंदिर में प्रवेश कर गणेश भगवान का दर्शन कर रहे हैं। दुर्ग विनायक गणेश मंदिर के महंत, शोभाराम शास्त्री ने बताया कि यह एक बहुत पुरानी परंपरा है, जिसमें महिलाएं 17 घंटे तक व्रत रहती हैं। यह व्रत संतान सुख और संतान उत्पत्ति की कामना के लिए किया जाता है।

गणेश पूजा और परंपराएं
दुर्गाकुंड स्थित दुर्ग विनायक मंदिर के महंत ने बताया कि भगवान गणेश प्रथम पूज्य देवता हैं, और किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले उनका पूजन आवश्यक होता है। उन्होंने कहा कि आज के दिन महिलाएं संतान सुख की कामना करते हुए भगवान गणेश का पूजा अर्चन करती हैं।

मंदिर में पूजा के दौरान दूर्वा घास, मोदक और अन्य सामग्रियों का भोग भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है। दुर्ग विनायक गणेश मंदिर के पुजारी, अनुराग मिश्रा ने बताया कि इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है और गणेश भगवान को श्रद्धा से भोग अर्पित किया जाता है।


