कफ सिरप रैकेट के फरार सरगना शुभम जायसवाल ने जारी किया वीडियो, बोला भ्रम फैलाया जा रहा, मुझे फंसाया जा रहा
वाराणसी। प्रदेश भर में फैले कोडीनयुक्त कफ-सिरप के अंतरराज्यीय तस्करी नेटवर्क के मुख्य आरोपित शुभम जायसवाल ने वीडियो जारी किया है। फरारी के दौरान जारी इस वीडियो में उसने स्वयं को निर्दोष बताते हुए कहा है कि उसके खिलाफ “भ्रम फैलाया जा रहा है” और “झूठा प्रचार” करके उसे साजिशन फंसाया जा रहा है। शुभम ने कुछ नेताओं और अन्य लोगों को चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि वे उसका नाम लेकर मनगढ़ंत कहानियां फैलाना बंद करें।
वीडियो में शुभम का दावा है कि हाल ही में पकड़ी गई सिरप की बड़ी खेप उसकी नहीं थी बल्कि उसे फंसाने के लिए “अंदरूनी सांठगांठ” की गई है, ताकि वास्तविक लाभार्थियों और संगठित तस्कर समूहों को बचाया जा सके। हालांकि, जांच एजेंसियों के अनुसार, वाराणसी निवासी दवा व्यापारी शुभम जायसवाल और उसके पिता भोला प्रसाद जायसवाल उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तक फैले कफ सिरप की अवैध सप्लाई श्रृंखला के प्रमुख संचालक रहे हैं।
पुलिस का कहना है कि फर्जी कंपनियों के नाम पर बिलिंग, नकली दस्तावेज, शेल फर्मों और कालाबाजारियों के जरिये बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित सिरप की तस्करी की जाती थी। पुलिस और ड्रग विभाग की संयुक्त कार्रवाई में सामने आए तथ्यों के अनुसार, इस रैकेट से जुड़े कुल 118 दवा कंपनियों व फर्मों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। बरामद दस्तावेजों में करोड़ों रुपये के फर्जी बिल, कागज़ी कंपनियाँ, ट्रकों की सप्लाई सूची, बिना अनुमति के भारी मात्रा में खरीदी-बिक्री के रिकॉर्ड मिल चुके हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि रैकेट का आकार 100 करोड़ रुपये से भी अधिक का है।
मामले की गंभीरता और अवैध धन संचलन की आशंका को देखते हुए अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मनी-लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी है। ईडी की टीम ने वाराणसी स्थित शुभम के घर पर नोटिस चिपकाया है और साफ कर दिया है कि उसके बैंक खातों, संपत्तियों, फर्जी कंपनियों की पूंजी और संदिग्ध लेन-देन की गहराई से जांच की जाएगी। पुलिस का कहना है कि शुभम अभी भी फरार है और वह भारत छोड़कर दुबई भाग गया है। उसकी गिरफ्तारी के लिए स्थानीय पुलिस, एटीएस तथा केंद्रीय एजेंसियों का संयुक्त ऑपरेशन जारी है।
शुभम के वीडियो में दिए गए दावों और जांच एजेंसियों के पास मौजूद ठोस रिकॉर्ड के बीच बड़ा विरोधाभास सामने आया है। वहीं सुरक्षा एजेंसियाँ अब पूरे नेटवर्क के सप्लाई चैन, आर्थिक गतिविधियों और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन को उजागर करने में जुट गई हैं। यह मामला प्रदेश में नशीली दवाओं की सबसे बड़ी तस्करी से जुड़े मामलों में से एक माना जा रहा है।

