चोलापुर के जालसाज ने वन विभाग में नौकरी के नाम पर प्रतापगढ़ के युवक को लगा दिया 12 लाख का चूना

jalsaji

वाराणसी। चोलापुर थाना क्षेत्र के जालसाज ने अपने ही दूर के रिश्तेदार को वन विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर 12 लाख रूपये का चूना लगा दिया। यही नहीं जालसाज ने उसे फर्जी नियुक्ति पत्र, पहचान पत्र जारी कर कोलकाता, मेदनीपुर और झारखंड के जंगलों में अपने सहयोगी के जरिए घुमवाता रहा। करीब 22 माह तक खुद के खर्च पर ट्रेनिंग के नाम पर घनचक्कर बनने के बाद रमाशंकर को जालसाजी का अहसास हुआ। इस मामले में प्रतापगढ़ जिले के लीलापुर थाना क्षेत्र के रेडीवीर गांव के भुक्तभोगी रमाशंकर सिंह ने चोलापुर क्षेत्र के धरसौना स्थित देईपुर गांव निवासी जालसाज संजय चौहान और एक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस उसके खिलाफ धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर उसकी तलाश कर रही है।

भुक्तभोगी ने पुलिस को बताया कि करीब दो साल पहले वह अपने मामा लाल प्रताप सिंह के यहां शादी में गया था। वहीं देखा कि संजय चौहान मेरे मामा से बात कर रहा है। मामा ने संजय से परिचय कराया। इस बीच संजय ने उससे कहाकि तुम्हारी पर्सनालिटी अच्छी है। तुम्हे जाब मिल जाएगी। मेरे कई दोस्त बड़े ओहदों पर हैं। किसी से कह दूंगा तो नौकरी मिलनी तय है। फिलहाल मैं वन विभाग में तुम्हारी अस्थायी नौकरी लगवा दूंगा। बाद में नौकरी स्थायी हो जाएगी। लाल प्रताप सिंह उसके मामा लगते हैं और संजय भी उनका रिश्तेदार है, इसलिए वह भी रमाशंकर का भी दूर का रिश्तेदार है। अब संजय के नौकरी दिलाने के झांसे रमाशंकर आ गया। इसके बाद जालसाज संजय ने रमाशंकर कहाकि मेरे खाते में नौ लाख रूपये भेज दो। उसने नौ लाख रूपये संजय के खाते में भेज दिये। रूपये मिलते ही संजय कहने लगा कि अस्थायी नौकरी क्यों दिलाएं। अब मैं तुम्हे पक्की नौकरी दिलवा दूंगा। इसके बाद उसने रमाशंकर से फिर तीन लाख रूपये लिये। कुछ दिन बाद संजय ने उसे मेल के जरिए फर्जी नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र भेज दिया।

कहाकि कोलकाता जाओ वहां ट्रेनिंग करो। वहां उसके बताए पते पर रमाशंकर गया तो एक बूढ़ा व्यक्ति मिला। वह उसे रोज जंगल में ले जाता और पेडों की पहचान कराकर कागज पर उपस्थिति रजिस्टर पर दस्तखत कराकर लौटा देता रहा। यहां वह दस माह तक अपने किराये और खर्च पर टिका रहा। फिर संजय ने बताया कि तुम्हारा ट्रांसफर मेदनापुर हो गया है। वहां गया और दो माह तक यहां सब भटकाते रहे। फिर पता चला कि झारखंड के चतरा में तुम्हारा ट्रांसफर हो गया है। वह चतरा भी गया। लेकिन न तो वेतन मिलता और न कोई सरकारी विभाग जैसा कुछ दिखा। यहां भी रमाशंकर करीब दस माह तक रहा। जब उसे संदेह हुआ तो उसने संजय से रूपये वापस मांगे तो वह आनाकानी करने लगा। दोबारा जब उसने रूपये के लिए कहा तो धमकी देने लगा। इसके बाद संजय पिछले दिनों धरसौना में संजय के घर पर पहुंचा। यहां संजय मिला तो उसे धमकाते हुए घर से भगा दिया। परेशान होकर संजय ने थाने में संजय और उसके एक अज्ञात साथी के खिलाफ रपट दर्ज करा दी।

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