BHU के पूर्व डीन प्रो. कौशल किशोर मिश्र का निधन, 67 की उम्र में सर सुंदरलाल अस्पताल में ली अंतिम सांस

Kaushal Kishore Mishra
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वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सामाजिक संकाय के पूर्व डीन प्रो. कौशल किशोर मिश्र का 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने BHU के सर सुंदर लाल अस्पताल के आईसीयू में अंतिम सांस ली। प्रो. मिश्रा पिछले कई दिनों से निमोनिया से जूझ रहे थे और अस्पताल में भर्ती थे। 

BHU से राजनीति में किया स्नातक

प्रो. कौशल किशोर मिश्र का जन्म 1 मई 1957 को हुआ था। उन्होंने 1977 में BHU से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया और इसके बाद राजनीति विज्ञान के विशेषज्ञ के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। वे अस्सी घाट की चर्चाओं और बहसों में सक्रिय रहते थे, जो बनारस की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। प्रो. मिश्रा सोशल मीडिया पर भी बनारसी अंदाज में अपने विचार व्यक्त करते थे और कई मुद्दों पर मुखर रहते थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहने के साथ-साथ, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से काशी के विकास के संबंध में भी बातचीत की थी।

प्रमुख कृतियां और लेखन कार्य

प्रो. मिश्रा एक प्रसिद्ध लेखक थे और राजनीति विज्ञान के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय पुस्तकें लिखीं। उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘रामचरितमानस में राम-राज्य,’ ‘महाभारत में राज-धर्म,’ ‘मनुस्मृति में राजतंत्र,’ और ‘भारतीय राजनीति में: पंडित दीनदयाल उपाध्याय और भारतीय जनता पार्टी का योगदान’ शामिल हैं। 

उपला बनाने की दी थी ट्रेनिंग
 
4 फरवरी 2022 को प्रो. मिश्रा ने BHU के समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र में छात्रों को उपला बनाने की ट्रेनिंग दी थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। इस मुद्दे पर लोगों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं आईं, जहां कुछ लोग इस पहल का समर्थन कर रहे थे, वहीं कुछ ने इसे लेकर कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने भारतीय नस्ल की गायों के संरक्षण और उनके उत्पादों के बाजार को विकसित करने के लिए भारत सरकार से किसानों को आर्थिक सहायता देने की मांग की थी।

नीता अंबानी प्रोफेसरशिप विवाद 

मार्च 2021 में प्रो. मिश्रा का नाम एक विवाद में तब आया जब स्थानीय मीडिया में खबरें आईं कि नीता अंबानी को BHU में विजिटिंग प्रोफेसर नियुक्त किया जाएगा। इस खबर के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बयान जारी कर इसे गलत बताया, साथ ही BHU के जनसंपर्क कार्यालय ने भी इसका खंडन किया। बाद में प्रो. मिश्रा ने स्पष्ट किया कि डीन के कार्यालय से इस तरह का प्रस्ताव भेजा गया था, हालांकि, इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया था। प्रो. कौशल किशोर मिश्र का योगदान शिक्षा और सामाजिक मुद्दों पर हमेशा याद किया जाएगा। प्रो. मिश्र छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय थे।

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