वन मंत्री ने पौधारोपण की तैयारियों की समीक्षा की, अफसरों को दिए जरूरी निर्देश

वाराणसी। उत्तर प्रदेश सरकार के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने रविवार को वाराणसी दौरे के दौरान मंडल स्तरीय विभागीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए वर्षा काल में होने वाले पौधारोपण की व्यापक तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने पौधारोपण को केवल औपचारिकता न मानते हुए उसे समर्पित प्रयास के रूप में लेने की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. सक्सेना ने कहा कि केवल पौधे लगाना ही पर्याप्त नहीं, उनकी देखभाल और संरक्षण भी अनिवार्य है ताकि पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखते हुए भविष्य में इसका दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित हो सके। उन्होंने थीम आधारित वृक्षारोपण की आवश्यकता पर जोर देते हुए सड़क किनारे, कॉलोनियों और घरों में उच्च गुणवत्ता वाले पौधों के रोपण की बात कही।
बैठक के बाद मंत्री ने बाबतपुर पौधशाला का निरीक्षण किया और वहाँ महोगनी, कचनार, आम, पीपल, बरगद आदि पौधों की अच्छी स्थिति को देखकर संतोष जताया। उन्होंने 8 से 10 फीट ऊंचाई वाले पौधों को आयरन गार्ड में लगाने के निर्देश दिए ताकि इनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। मियावाकी पद्धति से पौधारोपण की प्रशंसा करते हुए उन्होंने एस.टी.पी. रमना में एक हेक्टेयर क्षेत्र में किए गए वृक्षारोपण और बनास डेयरी (अमूल फैक्ट्री), करखियांव में प्रस्तावित 1.5 हेक्टेयर के मियावाकी वृक्षारोपण पर प्रसन्नता जताई।
उन्होंने औद्योगिक क्षेत्रों में भी पौधारोपण को बढ़ावा देने के निर्देश दिए और कहा कि जनसहभागिता से अभियान को गति दी जाए। विशेष रूप से बच्चों, स्वयंसेवी संस्थाओं (NGO), स्कूलों और सामाजिक संगठनों को वृक्षारोपण कार्यक्रमों से जोड़ा जाए। उन्होंने फलदार, फूलदार और छायादार पौधों को प्राथमिकता देते हुए इनके वितरण पर बल दिया।
बैठक में वन संरक्षक डॉ. रवि कुमार सिंह, वाराणसी की प्रभागीय वनाधिकारी स्वाति श्रीवास्तव, काशी वन्यजीव प्रभाग के दिलीप कुमार, गाजीपुर के विवेक यादव, जौनपुर के सरफराज आलम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रोहित सिंह सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।