फ्लैशबैक: जब ‘बनारसी नोटा’ ने 23 प्रत्याशियों को धूल चटाया, 2014 के मुकाबले 2019 में मिले दोगुने वोट
- मोदी सुनामी के बीच बीते दो आम चुनावों में बनारसी नोटा ने खूब बिखेरा जलवा
वाराणसी। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट पर 27 प्रत्याशी उतरे। ‘नोटा’ भी एक अघोषित प्रत्याशी के रूप मैदान में रहा। हालांकि विजयश्री तो भाजपा प्रत्याशी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ लगी। लेकिन उस चुनाव में नोटा (किसी प्रत्याशी को वोट नहीं) भी एक दमदार प्रत्याशी बनकर उभरा। बनारसियों ने नोटा दबाने में कोई गुरेज नहीं किया। इसीलिए नाम पड़ गया ‘बनारसी नोटा’। वोटों के आधार पर ‘बनारसी नोटा’ ने 23 प्रत्याशियों को सियासी दंगल में धूल चटाया था।
वाराणसी संसदीय सीट पर वर्ष 2019 के चुनाव में नोटा के वोट लगभग दोगुने हुए। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नोटा को जहां 2051 वोट मिले थे। वहीं, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में नोटा को 4037 मत पड़े। नोटा 27 प्रत्याशियों के बीच पांचवें स्थान पर रहा यानी 23 उम्मीदवारों को नोटा को मिले मतों से कम मत मिले। पहले स्थान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे तो दूसरे नंबर पर गठबंधन से सपा की उम्मीदवार शालिनी यादव रहीं। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के अजय राय और चौथे नंबर पर एसबीएसपी पार्टी के सुरेंद्र राजभर रहे। मोदी सुनामी के बीच बीते दो आम चुनावों में ‘बनारसी नोटा’ ने खूब जलवा बिखेरा।
लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 अपने-आप में अनूठा रहा। मोदी सुनामी में जाति, धर्म, सम्प्रदाय, क्षेत्र से लेकर सामाजिक समीकरण के किले भी ध्वस्त हो गये थे। देश भर में हुए आम चुनाव का शुरू से ही केंद्र वाराणसी संसदीय क्षेत्र रहा, क्योंकि भाजपा ने यहां 2014 में जहां प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मैदान में उतारा था।
वहीं, 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूसरी बार काशी से ही प्रत्याशी घोषित किया था। दोनों ही चुनाव में मतदान के बाद मतगणना के दौरान देश ही नहीं समूची दुनिया की निगाहें यहां लगी हुई थी। दोनों ही बार जब ईवीएम खुले तो राउंड-दर-राउंड मोदी के खिलाफ विरोधियों के संघर्ष की स्थिति ही खत्म हो गई। हालत यह हुई कि जैसे-जैसे मतगणना के राउंड आगे बढ़े, वैसे-वैसे मोदी जीत की तरफ ही नहीं, बल्कि जीत की ऊंचाईयों से भी ऊपर उठते गए और दोनों ही बार बम्पर वोटों से जीत हासिल की।
नोटा से भी कम मत मिले 23 प्रत्याशियों को
साल 2019 के आम चुनाव में भी मोदी सुनामी के बावजूद काशी के मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग भी किया। नोटा पर 4,037 मत पड़े। कहने का आशय यह कि मोदी लहर के बावजूद 4,037 मतदाताओं की नजर में मोदी समेत एक भी ऐसा प्रत्याशी ऐसा नहीं दिखा कि जिसको वे पसंद करते हुए वोट देते। वैसे भी भारतीय लोकतंत्र का यह नया प्रयोग है ‘नोटा’ यानी किसी चुनाव में खड़े प्रत्याशियों में से मतदाता को कोई भी पसंद न हो तो वह नोटा का बटन दबा सकता है।
नोटा को मिले मतों की गिनती भी होती है। लेकिन अभी तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं कि इसका असर चुनाव पर पड़े। फिर भी इसका दायरा बढ़ता जा रहा है। अब तो सोशल मीडिया पर नोटा का ज्यादा प्रचार किया जा रहा है। इसमें आमजन से लेकर सोशल एक्टिविस्ट भी शामिल हो गए हैं। बनारस की ही बात करें तो 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में नोटा ने जबरदस्त काम किया था।
साल 2019 के चुनाव में शीर्ष पांच प्रत्याशियों पर नजर
प्रत्याशी पार्टी मत मिले
नरेंद्र मोदी बीजेपी 6,74,664
शालिनी यादव सपा 1,95,159
अजय कांग्रेस 1,52,548
सुरेंद्र एसबीएसपी 8,892
नोटा -------- 4,037
एक नजर नोटा से कम पाने वाले प्रत्याशियों पर
प्रत्याशी पार्टी/निर्दल मत मिले
अनिल कुमार चौरसिया जेकेपी 2,758
मनोहर आनंदराव पाटिल निर्दलीय 2,134
हीना शाहिद जेएचबीपी 1,914
डॉ. शेख सिराज बाबा आरएमडीपी 1,771
त्रिभुवन शर्मा बीआरएस 1,695
प्रेमनाथ एमएपी 1 ,606
मानव निर्दलीय 1,435
हरि भाई पटेल एजेपीआई 1,340
राजेश भारती सूर्या आरएडी 1,258
रामशरण वीआईएसपी 1,237
सुनील कुमार निर्दलीय 1,097
डॉ. राकेश प्रताप बीजेकेडी 907
अतीक अहमद निर्दलीय 855
बृजेंद्र दत्त त्रिपाठी एएससीपी 838
सुन्नम इस्तारी निर्दलीय 798
ईश्वर दयाल निर्दलीय 657
उमेश चंद्र कटियार एएलएचपी 637
अमरेश मिश्रा बीपीएचपी 555
आशिन यू.एस. आईजीपी 504
आशुतोष कुमार पांडे एमएआरडी 499
मनीष श्रीवास्तव निर्दलीय 350
चंद्रिका प्रसाद निर्दलीय 331
संजय विश्वकर्मा केएसबीडी 012
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