काशी-तमिल संगमम-2 का पहला एकेडमिक सत्र, विकसित भारत में अध्यापकों की भूमिका पर संवाद
वाराणसी। काशी-तमिल संगमम के दूसरे संस्करण में बुधवार को पहले एकेडमिक सत्र का आयोजन हुआ। नमो घाट पर तमिलनाडु से आए अध्यापकों के डेलीगेशन के साथ दो घंटे तक चर्चा और संवाद स्थापित हुए। चेन्नई स्थित अन्ना विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर वेलराज, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में मालवीय मिशन के चेयरमैन और वैदिक विज्ञान केंद्र के समन्वयक प्रोफेसर उपेंद्र कुमार त्रिपाठी और बीएचयू एजुकेशन विभाग के प्रोफेसर सुनील कुमार ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की।
वक्ताओं ने आज विकसित भारत में अध्यापकों की भूमिका पर चर्चा-परिचर्चा की। इस सत्र में अध्यापकों के डेलिगेशन ने कई सवाल भी किए। जिसके जवाब मुख्य वक्ताओं ने दिए। उन्होंने नई शिक्षा नीति के मूल विषय, भारतीय ज्ञान परंपरा, डिजिटल टेक्नोलॉजी से एजुकेशन, मातृभाषा आदि पर गहन चर्चा की।
प्रोफेसर उपेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि विकसित भारत में देश की नई शिक्षा नीति 2020 काफी बड़ी भूमिका निभाएगा। गुरुकुल की शिक्षा पद्धति और मातृभाषा में शिक्षा पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि 14 साल के बच्चे को गुरुकुल शिक्षा देनी बहुत जरूरी है। इससे उनके अंदर ज्ञान के साथ ही चारित्रिक विकास भी होगा। इस उम्र तक बच्चों का विकास हो जाए तो भविष्य में बेहतर छात्र बनकर तैयार हो जाएगा। धन्यवाद ज्ञापन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के डायरेक्टर एमएम सिंह ने दिया।
अध्यापक डेलिगेट्स ने विभिन्न मुद्दों पर किया प्रश्न
दक्षिण भारत से आए अध्यापकों के दल ने एकेडमिक सत्र में देश को आधुनिक एवं आने वाले पीढ़ियों को किस तरह से अपने सांस्कृति इतिहास धरोहर और परम्पराओं के बारे में बताया जाये इसपर चर्चा की। वहीं नई शिक्षा नीति को लेकर सभी ने सरकार की काफी सराहना की, तो वहीं इस चर्चा में देश के इतिहास एवं पढ़ाने के तरीकों पर भी गहन मंथन किया गया।
अन्य एकेडमिक सत्रों पर एक नजर
दूसरा एकेडमिक सत्र 22 दिसंबर को होगा। इसमें तमिलनाडु के प्रोफेशनल डेलीगेट्स हिस्सा लेंगे। इस एकेडमिक सत्र में भारतीय पेशेवरों के लिए चुनौतियां और अवसरों पर संवाद स्थापित किया जाएगा। इसमें आर्किटेक्ट अनिल किंजड़वेकर मुख्य अतिथि और वक्ता होंगे।
तीसरा एकेडमिक सत्र 24 दिसंबर को आयोजित होगा। इसमें तमिलनाडु के आध्यात्मिक डेलीगेट्स शिरकत करेंगे। वे मंदिर की कला, संस्कृति और धर्म के बारे में होने वाले संवाद को सुनेंगे और अपने प्रश्न भी करेंगे। इस सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. ह्रदयरंजन शर्मा और डॉ. वेंकटरामन घन पाठी होंगे।
चौथा एकेडमिक सत्र 26 दिसंबर को होगा। इसमें तमिलनाडु से आए किसानों और कलाकारों का डेलीगेशन होगा। उस एकेडमिक सत्र में उत्तर और दक्षिण भारत में किसान सपोर्ट सिस्टम के उदाहरण, उपलब्धियां और यूपी के किसान और विश्वकर्मा स्कीम पर चर्चा होगी। इसमें मुख्य वक्ता प्रो. केएनएस राजू और प्रो. रघुरमन होंगे।
पांचवां एकेडमिक सत्र 28 दिसंबर को होगा। इसमें लेखकों का डेलीगेशन आएगा। इस सत्र में तमिल और हिंदी साहित्य के विचारों, समावेशी और प्रगतिवादी पर चर्चा होगी। इसमें मुख्य वक्ता के तौर पर डॉ. नीरजा माधव होंगी।
छठवां और अंतिम सऋ 30 दिसंबर को होगा। इसमें व्यापारियों और बिजनेसमैन का ग्रुप हिस्सा लेगा। इस सत्र में सहयोगी अवसरों, मुद्रा योजना का प्रभाव और सफलता की कहानियां, मेक इन इंडिया और जनधन योजना पर संवाद होगा। इसमें मुख्य अतिथि और वक्ता होंगे पूर्व आईआईटीएन डॉ. नीतिन मेहरोत्रा।
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