जन-जन के बीच गूंजेंगे संत शिरोमणि के वचन, सीर गोवर्धनपुर में बनेगा अत्याधुनिक संग्रहालय
योगी सरकार एक भव्य और अत्याधुनिक संत रविदास संग्रहालय का उनकी जन्मस्थली सीर गोवर्धनपुर में करा रही निर्माण
संग्रहालय का निर्माण जी-प्लस 1 तल का लगभग 1645 वर्ग मीटर क्षेत्र में बन रहा है
संत रविदास के जीवन, साहित्य, भक्ति आंदोलन में योगदान और 15वीं–16वीं सदी के आध्यात्मिक एवं सामाजिक परिवेश को डिजिटल प्रोजेक्शन, ग्राफिक्स और ऑडियो-विजुअल माध्यमों से जीवंत रूप में प्रस्तुत किया जाएगा
फरवरी 2027 में बन कर तैयार होना प्रस्तावित है
वाराणसी।“मन चंगा तो कठौती में गंगा” जैसे प्रेरणादायी विचारों से मानवता को दिशा देने वाले संत शिरोमणि गुरु रविदास की जीवन-धारा अब आधुनिक तकनीक के माध्यम से सीधे लोगों तक पहुँचेगी। उनकी जन्मस्थली सीर गोवर्धनपुर में योगी सरकार एक भव्य और अत्याधुनिक संत रविदास संग्रहालय का निर्माण करा रही है, जो आने वाली पीढ़ियों को उनके जीवन, दर्शन और शिक्षाओं से रूबरू कराएगा। संग्रहालय का निर्माण जी-प्लस 1 तल का लगभग 1645 वर्ग मीटर क्षेत्र में बन रहा है। यह आधुनिक संग्रहालय लगभग 2320.73 लाख रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है। म्यूजियम में संत रविदास के जीवन, साहित्य, भक्ति आंदोलन में योगदान और 15वीं–16वीं सदी के आध्यात्मिक एवं सामाजिक परिवेश को डिजिटल प्रोजेक्शन, ग्राफिक्स और ऑडियो-विजुअल माध्यमों से जीवंत रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।

संत और महात्माओं की आध्यात्मिक और धार्मिक धरती काशी में संत शिरोमणि रविदास दास जी के जीवन पर आधारित आधुनिक म्यूजियम का मूर्तरूप ले रहा है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वाराणसी में संत रविदास जी के आध्यात्मिक विरासत को संजोरही है। यूपी प्रोजेक्ट्स कारपोरेशन लिमिटेड वाराणसी के परियोजना प्रबन्धक मानवेन्द्र सिंह ने बताया कि संत रविदास की जन्मस्थली सीर गोवर्धन में उनके जीवन और दर्शन पर आधारित 1645 हज़ार वर्ग मीटर में संग्रहालय का निर्माण चल रहा रहा है। संग्रहालय लगभग 2320.73 लाख रुपये की लागत से फरवरी 2027 में बन कर तैयार होना प्रस्तावित है।

परियोजना प्रबंधक ने बताया कि डिजिटल चित्र और चलचित्र के माध्यम से संत रविदास के जन्म ,जीवन और आध्यात्मिक उनके गृहस्थ जीवन की जानकारी उपलब्ध होगी। संग्रहालय आने वाले श्रद्धालुओं के लिए काफी इंटरएक्टिव होगा। जिसमे संत शिरोमणि रविदास के जीवन के बहुत से अनछुए पहलुओं की जानकारी होगी। संग्रहालय में भक्ति आंदोलन के उनके योगदान के बारे में जानकारी संजोई जाएंगी। रैदास द्वारा दी गई शिक्षा,उपदेश और रचना के बारे में गैलरी में विशेष स्थान दिया गया है। जिससे आने वाली पीढ़ी भी उनके विचारों को जान सके। ग्राफ़िक्स व ऑडियो वीडियो के माध्यम से उनके साहित्यिक संकलन को दर्शाया जाएगा।

परियोजना प्रबंधक ने जानकारी दिया कि संग्रहालय में 5 बडी गैलरी होंगी।भूतल प्लस प्रथम तल में प्रशासनिक भवन, कैफिटेरिया ,सोविनियर शॉप , श्रद्धालुओं के बैठने जन सुविधा के इस्तेमाल चीजें आदि के लिए उपयुक्त स्थान होगा। लैंडस्केपिंग के माध्यम से संग्रहालय को और खूबसूरत बनाया जाएगा। काशी की आध्यात्मिक धरती पर विकसित हो रहा यह संग्रहालय न केवल संत रविदास की अमर विरासत का संरक्षण करेगा, बल्कि देश–विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को भक्ति, समता और मानवता की उनकी अद्भुत सीख से भी अवगत कराएगा।

