दुर्गा मंदिर श्रृंगार व संगीत समारोह : हरितालिका तीज पर मां का हुआ सोलह श्रृंगार, भरत शर्मा ने पचरा और देवी गीतों से किया मंत्रमुग्ध  

WhatsApp Channel Join Now

वाराणसी। आदि शक्ति जगतजननी मां कूष्माण्डा के धाम में श्रृंगार और संगीत महोत्सव के सातवें एवं आखिरी दिन शुक्रवार को लोक संस्कृति के दिग्गज कलाकारों ने हाजिरी लगाई। प्रख्यात कजरी गायिका, पद्मश्री से अलंकृत उर्मिला श्रीवास्तव, भजन सम्राट भरत शर्मा व्यास जैसे कलाकारों की प्रस्तुतियों से मंदिर प्रांगण गुलजार रहा। हरितालिका तीज के अवसर पर मां का सोलह श्रृंगार किया गया। असंख्य भक्तों ने माता के दरबार में मत्था टेका। व्रती महिलाओं ने मां से अपने सुहाग के लंबी उम्र की कामना की। 

Ma

महोत्सव में मिर्जापुर से आई पद्मश्री उर्मिला श्रीवास्तव ने कजरी एवं देवी गीतों से मां कूष्माण्डा की आराधना की। उन्होंने सबसे पहले देवी गीत 'जय दुर्गे जगदम्बे भवानी' से शुभारंभ किया। उसके बाद कजरी गीत 'मैया झूले चनन झुलनवा', 'पवनवा चवर झुलावेला', 'झूला धीरे से झुलावा बनवारी' आदि गीतों से अपनी स्वरांजलि अर्पित की। उनके साथ हारमोनियम पर शिवलाल गुप्ता, नाल पर पंचम राम, ढोलक पर पप्पू लाल, बेंजो पर सियाराम, शहनाई पर बांकेलाल,चंद्र मजीरे पर शैला श्रीवास्तव संगत पर रहे। इसके बाद मां के मण्डप में भजन सम्राट भरत शर्मा व्यास ने पचरा एवं देवी गीतों से अपनी हाजिरी लगाई। 

Ma

उन्होंने सबसे पहले 'जयंती मंगला काली' से शुभारंभ किया। उसके बाद 'धोवत धोवत तोहरे मंदिरवा, हथवा पिरावत हव' सुनाया, तत्पश्चात अपना प्रसिद्ध पचरा 'नीमिया की डारि मइया सुनाया तो पूरा मंदिर प्रांगण भक्तिमय हो गया। इसके बाद उन्होंने 'कवन फूलन ओढ़न माई के कवन फुलवा आसन', 'जीभ लटकल होई मुंड के माला' आदि देवी गीतों की सुमधुर प्रस्तुतियां दी। उनके साथ तबले पर जगदंबा सिंह, कीबोर्ड पर शेखर, बेंजो पर महिपाल आदि ने संगत किया। इसके पहले अंतिम निशा का शुभारंभ प्रियांशु घोष के गायन से हुआ। उन्होंने सबसे पहले राग अड़ाना में 'माता महाकाली' प्रस्तुत किया। उसके बाद भजन 'धन्य भाग्य सेवा का अवसर पाया' प्रस्तुत किया। 

Ma

दूसरी प्रस्तुति डॉ. संजय वर्मा के गिटार वीणा की रही, उन्होंने राग जोग में बन्दिश प्रस्तुत किया। इसके बाद झपताल में मध्य लय तीन ताल में धुन प्रस्तुत किया। उनके साथ सह गिटार पर राघवेंद्र नारायण एवं तबले पर किशन राम डोहकर ने संगत किया। महोत्सव में सरोज वर्मा के गायन की भी प्रस्तुति हुई, उन्होंने आई गिरी नंदिनी से शुरुआत की। उसके बाद मैया द्वारे बधइया बाजे', 'अचल सुहाग मैं देवी जी से मांगे अइली' सुनाकर समापन किया। उनके साथ तबले पर शशिकांत द्विवेदी, हारमोनियम पर नागेंद्र शर्मा एवं साइड रिदम पर संजय श्रीवास्तव संगत पर रहे। कलाकारों का स्वागत पण्डित विकास दुबे ने किया। व्यवस्था महन्त राजनाथ दुबे, चंदन दुबे, किशन दुबे आदि ने संभाली। संचालन ललिता शर्मा ने किया।

Ma

श्रृंगार महोत्सव के आखिरी दिन मां का सोलह श्रृंगार
महोत्सव के अंतिम दिन हरितालिका तीज के अवसर पर भगवती मां कूष्माण्डा का सोलहों श्रृंगार किया गया। बनारसी लाल साड़ी एवं चुनड़ी से सजी मां का स्वर्ण आभूषणों से सोलह श्रृंगार किया गया। माथे पर मांगटीका, गले मे हार, नाक में नथिया आदि से मां की अत्यंत मनोहारी छवि सजायी गयी। श्रृंगार एवं आरती पण्डित संजय दुबे ने किया। सहयोग चंचल दुबे का रहा।

Share this story