खुलासा : दशकों पुराने अवैध सम्बंधों के कारण क्रिकेट कोच को मारी गई थी गोली, वकील समेत पांच गिरफ्तार

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30 अप्रैल की सुबह डीएवी कालेज मैदान के पास कोच रामलाल यादव को मारी गई थी गोली

वाराणसी। क्रिकेट कोच रामलाल यादव उर्फ दादा (62) को दशकों पहले एक महिला पर बुरी नजर रखने और गलत काम करने की रंजिश में गोली मारी गई थी। इस घटना को कबीरचौरा के पास के रहनेवाले रामजी दुबे ने अपने साथियों के सहयोग से अजाम दिलवाया। 

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गौरतलब है कि पिछले 30 अप्रैल की सुबह कोतवाली क्षेत्र के औसानगंज स्थित डीएवी इंटर कॉलेज के खेल मैदान में क्रिकेट कोच रामलाल यादव उर्फ दादा को बदमाशों ने गोली मार दी थी। घटना के बाद पहुंची पुलिस ने तमाम पूछताछ की लेकिन उसकी वजह समझ में नही आ रही थी। सीसीटीवी फुटेज और सर्विलास के आधार पर पुलिस ने पहले अफजल पुलिस की गिरफ्त में आया। पूछताछ में उसने सारी कहानी बताई। इसके बाद पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर शिवपुर बाइपास से रामजी दुबे, प्रभात दास, मो. नदीम खान और मो. नसीम को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इनके पास से असलहा और कारतूस बरामद किया है। इनसे पूछताछ के बाद पुलिस ने पहड़िया निवासी मनीष सिंह को गिरफ्तार किया। मनीष पेशे से अधिवक्ता है और असलहा बेचने खरीदने में लिप्त होने का आरोप है।

अपर पुलिस आयुक्त संतोष सिंह ने शनिवार को अपने कार्यालय में पांचो आरोपितों को अपने कार्यालय में मीडिया के सामने पेश किया। बताया कि रामजी दुबे के पिता डीएवी कालेज के चपरासी थे। बचपन से ही क्रिकेट कोच मेरे परिवार की एक महिला पर बुरी नजर रखते थे। कई बार मेरे सामने गलत काम भी किया। उस समय वह छोटा था और बोल नही पाता था। रामलाल और परिवार के लोगों की दबंगई से आसपास के लोगों की दबंगई के कारण आसपास के लोग भी बोल नही पाते थे। बड़ा होने पर वह रामलाल को मारने की योजना बना रहा था। रामजी दोस्तों के साथ नशा करता है। नशे के दौरान उसने अपने साथी नदीम, प्रभात दास, नसीम व अफजल को परिवार की महिला के साथ रामलाल के कुकृत्य को बताया। यह सुनकर उसके दोस्त उसके प्रति सहानुभूति रखने लगे।

रामलाल रोज बच्चों को क्रिकेट सिखाने डीएवी कालेज मैदान में जाते थे। इसलिए उसने वही जान से मरवाने की योजना बनाई। एक हफ्ते पहले रामजी ने रामलाल को जान से मारवाने की योजना बनाई थी। हत्यारे मैदान तक गये भी लेकिन भीड़ ज्यादा होने के कारण अंजाम नही दे सके। इसके बाद 30 अप्रैल की सुबह मारने की योजना बनी। योजना के मुताबिक रामजी ने प्रभात व नसीम को नदीम के घर रूकवा दिया था। योजना के तहत सुबह अफजल व नदीम टेम्पो लेकर नदीम के घर पहुंचे। वहां से रामजी ने प्रभात व नसीम को पिस्टल देकर अफजल और नदीम के साथ टेम्पो से रामलाल की हत्या करने भेज दिया। प्रभात व नसीम ने रामलाल पर गोली चलाई। अफजल व नदीम आटो लेकर मौजूद रहे। गोली मारने के बाद हमलावर रामजी से हुकुलगंज में मिले। वहीं रामजी ने प्रभात व नसीम से पिस्टल लिया और चला गया। इसके बाद अन्य साथी भी भाग निकले। बाद में अफजल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने हमलोगों को पकड़ लिया। पूछताछ में रामजी दुबे ने बताया कि घटना में प्रयुक्त पिस्टल सारनाथ थाना क्षेत्र के पहड़िया निवासी मनीष सिंह ने उपलब्ध कराई थी। मनीष हमारे पुराने मुकदमे में वकील हैं। अवैध असलहों को बेचने व खरीदने का काम करते हैं। घटना के बाद असलहे मैने मनीष सिंह को लौटा दिये थे। 
 

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