नवरात्र अष्टमी पर काशी में उमड़ेगा भक्तों का सैलाब, मां अन्नपूर्णा को अर्पित होगा विशेष भोग
मंदिर के महंत शंकरपुरी महराज के अनुसार, इस दिन मां अन्नपूर्णा को फलाहार का भोग अर्पित किया जाएगा, जो नवरात्र के नौ दिनों तक चलता है। अष्टमी के दिन मंदिर में हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष उपस्थित होते हैं। इस पावन अवसर पर सुबह 4 बजे से रात 10:30 बजे तक भक्तों को प्रसाद के रूप में भिक्षा वितरित की जाती है, जिससे उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। महिलाएं मंदिर में 108, 51, 21, और 8 बार परिक्रमा करती हैं, जिसके लिए मंदिर परिसर में सीढ़ियां लगाई जा रही हैं।
द्वापर से जुड़ा है अन्नपूर्णा मंदिर का इतिहास
अन्नपूर्णा मंदिर का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा माना जाता है। कालांतर में इसका स्थान बदलता रहा और 1601 में यह बांसफाटक स्थित आदिविशेश्वर महादेव मंदिर के बगल में था। महंत शंकरपुरी महराज बताते हैं कि मां अन्नपूर्णा स्वयंभू देवी हैं और सभी प्रकार के अन्न और वैभव की अधिष्ठात्री हैं। सन 1720 में बालाजी पेशवा द्वारा इस मंदिर का पुनः निर्माण किया गया था। कहा जाता है कि बाबा विश्वनाथ ने भी कभी मां अन्नपूर्णा से काशी में भिक्षा मांगी थी। तभी से यहां भिक्षा वितरण की प्राचीन परंपरा चली आ रही है।
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