सावन के अंतिम सोमवार बाबा सारंगनाथ महादेव के दर्शन कर निहाल हुए भक्त, भोर से ही लगी रही भक्तों की लाइन

sarangnath mahadev
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वाराणसी। सावन के पांचवें व अंतिम सोमवार को काशी में शिवालयों के बाहर श्रद्धालुओं और कांवरियों के दर्शन करने के लिए  लंबी-लंबी लाइनें लगी रहीं। इसी बीच सारनाथ स्थित सारंगनाथ महादेव मंदिर में दर्शन पूजन के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। 

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भोर की मंगला आरती के बाद से ही भक्तों के लिए बाबा का दरबार खोल दिया गया। भक्तों ने बारी-बारी से बाबा का दर्शन किया। मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ एक महीने सावन में भगवान सारंगनाथ यानी अपने साले के साथ सारंगनाथ मंदिर में विराजमान होते हैं। वहीं सावन के समाप्त होते ही भगवान विश्वनाथ सावन काशी लौट जाते हैं। 

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सारंगनाथ मंदिर के महंत ने बताया कि एक महीने तक बाबा विश्वनाथ अपने साले सारंग ऋषि के साथ विराजमान होते हैं। जैसे ही सावन की समाप्ति होती है, वह काशी के लिए लौट जाते हैं। मान्यता यह भी है कि सावन में जो भी व्यक्ति सारनाथ मंदिर में दर्शन करता है, वह बाबा विश्वनाथ के भी दर्शन कर लेता है। 

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यहां एक ही अर्घ में दो शिवलिंग विराजमान हैं, एक शंकराचार्य द्वारा स्थापित है, जो भगवान शिव का है। एक बाबा विश्वनाथ तो दूसरा उनके साले सारंगनाथ का। मान्यता है कि दुनिया में काशी में यह ऐसा पहला मंदिर है, जो एक साथ भगवान भोलेनाथ और उनके साले सारंगनाथ एक साथ विराजमान है मान्यता यह भी है कि जो भी सच्चे मन से भक्त इस मंदिर में कोई मिन्नते मांगता है तो उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है।
 

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