बनखंडी महादेव मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़, भोले नाथ को जल अर्पित करने से होती है सभी मनोकामनाएं पूरी
वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का इतिहास हजारों साल पुराना है। मान्यता के मुताबिक, भगवान शिव के त्रिशूल पर बसे इस अद्भुत शहर में यूं तो कई शिव मंदिर हैं, लेकिन आज हम आपको जिस देवालय के बारे में बताने जा रहा है, वो दुनिया में सबसे अनोखा और अद्भुत है।

शहर के रविन्द्रपुरी इलाके में बनखंडी महादेव का प्राचीन मंदिर है। इस 200 साल पुराने मंदिर की आकृति शिवलिंग की तरह है। यही नहीं, जो भी इस मंदिर को देखता है, वो इसकी खूबसूरती को बस निहारता ही रह जाता हैं। शिवलिंग के आकार वाले इस मंदिर की ऊंचाई 60 फीट और इसका व्यास 30 फीट है। वाराणसी का यह मंदिर दूसरे मंदिरों की शैली से बिल्कुल अलग है।

मंदिर के प्रबंधक अनूप लालवानी ने बताया कि 1818 में स्वामी बनखंडी महाराज ने इसकी स्थापना किया था। उसके बाद 1993 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ और इसे शिवलिंग की आकृति में बनाया गया। बनखंडी महाराज के नाम पर ही इस मंदिर का नाम बनखंडी महादेव पड़ा। इस अनोखे शिवलिंग को आप जब आसमान से निहारेंगे तो इसकी सीढियां अरघे के आकार की नजर आएगी। मान्यता है कि जो भी भक्त पूरे श्रद्धाभाव से यहां भगवान शंकर को जल अर्पित करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

इस मंदिर में भगवान शंकर, भगवान गणेश, संकटमोचन हनुमान के अलावा आदिशक्ति की प्रतिमा भी स्थापित है। वैसे तो पूरे साल यहां पर दर्शन पूजन कथा रुद्राभिषेक करने वालों का तांता लगा रहता है, परंतु सावन में यहां पर रुद्राभिषेक का विशेष महत्व बढ़ जाता है और उसमें से अगर सोमवार पड़ जाए तो और भी विशेष हो जाता है। प्रत्येक सोमवार को यहां भक्तों की भीड़ होती है और सावन के महीने में हर दिन यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु मत्था टेकने के लिए आते हैं।

अनूप कुमार गुप्ता ने बताया कि हम पिछले कई वर्षों से इस मंदिर में दर्शन पूजन करने आते हैं। आज हम परिवार के साथ यहां पर दर्शन पूजन करने पहुंचे हैं। वैसे तो काशी में अनेक शिवालय और उसमें सब का अपना अलग महत्व है। मंदिर में दर्शन पूजन से मनुष्य के सभी मनोकामना पूर्ण होती है।


