Dev Deepawali 2024 : काशी विश्वनाथ धाम की फूलों से होगी भव्य सजावट, दीयों की रोशनी से जगमग होगी बाबा की अंगनाई
वाराणसी। देव दीपावली के दिन 15 नवंबर को श्री काशी विश्वनाथ धाम की आभा देखते ही बनेगी। रंग-बिरंगे और सुगंधित फूलों से भव्य सजावट की जाएगी। वहीं हजारों दीयों की रोशनी से कारिडोर का कोना-कोना जगमग होगा। इसको लेकर मंदिर प्रशासन ने रूपरेखा तैयार कर ली है।

एसडीएम शंभू शरण ने बताया कि देव दीपावली अविमुक्त क्षेत्र काशी विश्वेश्वर भगवान की आराधना का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस अवसर पर सनातन परंपरा के अनुसार काशी में समस्त देवता देवलोक से पधार कर स्वयं के पुण्यलाभ के लिए महादेव के सेवार्थ प्रकाश पर्व मनाते हैं। इस अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ धाम को फूलों से सजाने की योजना बनाई गई है। सम्पूर्ण धाम में विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों से आकर्षक सजावट की जाएगी। इसके अलावा दीपों की सजावट भी की जाएगी। विशेष रूप से दीपोत्सव की तैयारियां की गई हैं, जिसमें मंदिर क्षेत्र को हजारों दीपों से सजाया जाएगा, जिससे सम्पूर्ण धाम दीपों की आभा से रोशन होगा।
इस वर्ष देव दीपावली के अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ धाम स्थित ललिता घाट पर शाम को विशेष आतिशबाजी और लेज़र शो का आयोजन किया जाएगा। इसमें श्रद्धालु और पर्यटक दोनों ही आनंदित होंगे। काशी के इस अद्वितीय पर्व को और भी भव्य बनाएगा। सभी तैयारियों के मद्देनजर, काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए हैं। मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को पूजा-अर्चना और अन्य धार्मिक कार्यों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। काशी क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को भी सुदृढ़ किया गया है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
बैकुंठ चतुर्दशी पर विश्वनाथ धाम में होगी नारायण की विशेष आराधना
बैकुंठ चतुर्दशी के पवित्र अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में विशेष पूजा एवं आरती का आयोजन किया जाएगा। यह पूजा श्री हरि भगवान विष्णु के समस्त प्रधान विग्रह पर की जाएगी। बैकुंठ चतुर्दशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है, जिसे विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा एवं आराधना का दिन माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु जी की योग निद्रा समाप्त होती है और वे बैकुंठ लोक से जागकर सृष्टि की गतिविधियों में सक्रिय हो जाते हैं। इस दिन भगवान शिव सृष्टि की जिम्मेदारी विष्णु जी को सौंपते हैं।
इस दिन की पूजा और आराधना से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से भगवान विष्णु की कृपा से भक्त को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। इसलिए भक्त श्री हरि की आराधना करते हैं। एसडीएम शंभूशरण ने बताया कि बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर श्री काशी विश्वनाथ धाम में मुख्य मंदिर परिसर में गर्भगृह एवं दण्डपाणि विग्रह के मध्य बैकुंठ जी विग्रह पर सहस्त्रार्चन एवं राग-भोग आरती का आयोजन किया जाएगा। मुख्य मंदिर परिसर में गर्भगृह एवं दण्डपाणि विग्रह के मध्य बैकुंठ जी विग्रह पर सहस्त्रार्चन एवं राग-भोग आरती का आयोजन किया जाएगा।
इसके अलावा मुख्य मंदिर परिसर में बी गेट “सरस्वती द्वार” प्रवेश के दाहिने तरफ सत्यनारायण जी विग्रह पर शुक्ल यजुर्वेद के पुरुष सूक्त पाठ के उपरांत आरती संपन्न की जाएगी। मुख्य मंदिर परिसर में ए गेट “गंगा द्वार” प्रवेश के दाहिने तरफ बद्रीनारायण जी के विग्रह पर विष्णु सहस्त्रनाम पाठ के उपरांत राग-भोग आरती संपन्न की जाएगी। ललिता घाट पर स्थित भगवन विष्णु के पद्म्नाभेश्वर मंदिर में पंचामृत से पूजन के उपरांत षोडशोपचार पूजन किया जाएगा।

