छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक कराने वाले महापंडित गागा भट्ट के वंशज कराएंगे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, 121 कर्मकांडी ब्राह्मणों का करेंगे नेतृत्व
वाराणसी। छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक कराने वाले काशी के महापंडित गागा भट्ट के वंशज अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराएंगे। गागा भट्ट की 11वीं पीढ़ी के वंशज काशी के ख्यात कर्मकांडी विद्वान आचार्य लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के सभी अनुष्ठान-विधानों का संपादन करने वाले देश भर के 121 कर्मकांडी ब्राह्मणों का नेतृत्व करेंगे। उनके निर्देशन में सारे अनुष्ठान 17 जनवरी से आरंभ होंगे।
काशी के महापंडित गागा भट्ट ने देश में हिंदवी साम्राज्य की स्थापना करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक 1674 ईस्वी में कराया था। इस घटना के 350 वर्ष बाद उनके ही वंशजों को अयोध्या में प्रभु श्रीराम लला की प्राण-प्रतिष्ठा कराने का दायित्व मिला है। 86 वर्षीय आचार्य पं. लक्ष्मीकांत महापंडित गागाभट्ट के 11वीं पीढ़ी वंशज हैं। बताया जाता है कि राज्याभिषेक के पश्चात जब छत्रपति शिवाजी काशी आए तो उनके साथ महापंडित गागाभट्ट भी आए थे।
गागा भट्ट के परिवार की एक शाखा काशी में ही रह गई थी। पंडित लक्ष्मीकांत उसी वंश परंपरा से जुड़े हुए हैं। अब उनका परिवार रामघाट के समीप मंगला गौरी मंदिर के पास निवास करता है। आचार्य दीक्षित के साथ उनके दो सुपुत्र अरुण कुमार दीक्षित व सुनील कुमार दीक्षित भी अयोध्या उनके सहयोग के लिए जाएंगे।
121 कर्मकांडी ब्राह्मणों में 50 काशी के
रामलाल की प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान कराने वाले देश के जिन 121 कर्मकांडी ब्राह्मणों को आमंत्रित किया गया है। उनमें 50 काशी के होंगे। कर्मकांडी ब्राह्मणों का दल 16 जनवरी को ही अयोध्या पहुंच जाएगा। अयोध्या में रामलाल की प्राण-प्रतिष्ठा के मूल अनुष्ठान के साथ ही अनेक धार्मिक अनुष्ठान साथ-साथ चलेंगे। इनमें चारों वेदों व 18 पुराणों के पारायण भी शामिल हैं। ये सभी अनुष्ठान अलग-अलग मंडपों में होंगे। इसके पश्चात क्षेत्रपाल पूजन, वास्तु पूजन, योगिनी पूजन, नवग्रह पूजन, दसस्नान हवन व जलयात्रा होगी। इसके पश्चात प्रभु के विग्रहों का जलाधिवास, अन्नाधिवास, पुष्पाधिवास, घृताधिवास आदि कराया जाएगा। पांच दिवसीय प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान गर्भगृह के मंडप में संपन्न कराए जाएंगे।
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