पुलिस कमिश्नर के पीआरओ रहे उपनिरीक्षक के नाम पर महिला से ठगी करने वाला साइबर जालसाज गिरफ्तार, जांच में सामने आए चौकाने वाले तथ्य 

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वाराणसी। पुलिस कमिश्नर के पीआरओ पद से हटाए गए उपनिरीक्षक दीपक कुमार रानावत के नाम पर महिला से ठगी करने वाले शातिर साइबर जालसाज को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपी पीआरओ की फोटो का इस्तेमाल कर झांसा दिया। उसके बाद नौकरी दिलाने के नाम पर दो किश्तों में 16 लाख रुपये ले लिए। पीड़िता की शिकायत के बाद पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर एडीसीपी सरवणन टी ने मामले की जांच की। इसमें चौकाने वाले तथ्य सामने आए। पुलिस ने कैंट रेलवे स्टेशन के पास से आरोपी को पकड़ा। उसके पास से यूपीएससी और रेलवे के दो फर्जी ज्वाइनिंग लेटर, दो मोबाइल बरामद किए गए हैं। एडीसीपी ने गिरफ्तारी और बरामदगी के बारे में जानकारी दी। 

दरअसल, बीते 27 मई को एक महिला ने पुलिस कमिश्नर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें तत्कालीन पीआरओ दीपक रानावत पर नौकरी दिलाने के नाम पर 16 लाख रुपये की ठगी का आरोप लगाया गया था। इस शिकायत के बाद पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने तत्काल दीपक रानावत को पीआरओ पद से हटाते हुए मामले की जांच का जिम्मा एडीसीपी को सौंपा। जांच में यह खुलासा हुआ कि दीपक रानावत की पहचान का दुरुपयोग कर एक साइबर अपराधी मुनफेद पुत्र आमीन, निवासी ग्राम देवसेरस, थाना गोवर्धन, मथुरा, ने फर्जी फेसबुक आईडी बनाई थी। इस फर्जी पहचान के जरिए उसने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर कई महिलाओं को सरकारी नौकरी का झांसा देकर ठगी की।

मुनफेद ने दीपक रानावत और गोरखपुर में तैनात उपनिरीक्षक अभिजीत सिंह की फर्जी पुलिस आईडी, सोशल मीडिया पोस्ट और फोटो का इस्तेमाल कर महिलाओं को जाल में फंसाया। उसने मथुरा, आगरा, हरियाणा, बलिया, नई दिल्ली, पटना सहित कई जिलों की महिलाओं को शिकार बनाया। अब तक की जानकारी के मुताबिक वह 14 महिलाओं से ठगी कर चुका है। कैण्ट रेलवे स्टेशन पर संदिग्ध अवस्था में पकड़े जाने के बाद पूछताछ में मुनफेद ने अपने अपराध को स्वीकार किया। उसने बताया कि ठगी की राशि से उसने एक मकान बनवाया और ज्वैलरी खरीदी। पुलिस ने अभियुक्त के पास से फर्जी नियुक्ति पत्र (यूपीएससी व रेलवे), फर्जी पुलिस आईडी, दो मोबाइल फोन और ज्वैलरी बरामद की है।

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