दक्षिण एशियाई आबादी में कोविड-19 की संवेदनशीलता यूरोप और चीन से अलग, बीएचयू के जीन वैज्ञानिक के रिसर्च में सामने आए तथ्य
वाराणसी। भारतीय उपमहाद्वीप की आबादी के बीच कोविड-19 की संवेदनशीलता में आनुवंशिक विविधताओं की भूमिका को समझने के उद्देश्य से एक व्यापक आनुवंशिक अध्ययन, फ्यूरिन जीन वेरिएंट और कोविड-19 मामले की मृत्यु दर के बीच महत्वपूर्ण संबंध को उजागर करता है। यह महत्वपूर्ण अध्ययन महामारी विज्ञान और आनुवंशिक कारकों में नई दिशा प्रदान करता है। इस अध्ययन का नेतृत्व बीएचयू के जीन वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने किया।
वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन में विभिन्न भारतीय राज्यों के 450 नमूनों का अनुवांशिक विश्लेषण किया। इसके लिए फ्युरिन जीन के म्युटेशन आरएस1981458 और कोविड-19 गंभीरता के बीच एक उल्लेखनीय सकारात्मक संबंध की पहचान की, जो भारत के विभिन्न जातीय समूहों पर वायरस के प्रभाव को जीन के आधार पर दर्शाता है। वैज्ञानिको ने इस सम्बन्ध को देखने के लिए महामारी की पहली और दूसरी लहर की विभिन्न समय सीमाओं का अध्ययन किया, जो कोविड-19 में इस म्युटेशन की संभावित भूमिका को बताता है।
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता रुद्र कुमार पांडे ने बताया कि यह शोध कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अनुवांशिक आधार पर भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले लोगों में बीमारी की गंभीरता को कैसे प्रभावित कर सकता है। उन्होंने आगे कहा कि वो आबादी जिनमें ज्यादा गंभीर रूप से बीमार होने के अनुवांशिक लक्षण उनके लिए रणनीति विकसित करने के लिए इन आनुवंशिक कारकों को समझना महत्वपूर्ण है।
इस विषय पर एक कदम आगे बढ़ते हुवे टीम ने कंप्यूटर मॉडल के हिसाब से दिखाया कि यह म्युटेशन प्रतिरक्षा कोशिकाओ को कैसे संचालित करता है। इसके अलावा, भारतीय उपमहाद्वीप पर ध्यान केंद्रित करते हुए, टीम ने दुनिया भर के 393 लोगो का एनजीयस डेटा की जांच करते हुए, अनुसंधान को वैश्विक स्तर तक बढ़ाया। इस वैश्विक विश्लेषण में विभिन्न कंप्यूटर एनालिसिस को इस्तेमाल करते हुए यह देखा गया कि भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों में संवेदनशीलता यूरोप और चीन के लोगों से भिन्न है।
अध्ययन का नेतृत्व करने वाले जीन वैज्ञानिक ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कि यह अध्ययन न केवल कोविड-19 संवेदनशीलता को समझने में आनुवंशिक कारकों के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि आनुवंशिक बायोमार्कर के रूप में इन म्युटेशन का उपयोग करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह शोध महामारी के दौरान नीतियों को विकसित करने, संसाधनों को अधिक प्रभावी ढंग से आवंटित करने और, अंततः अमूल्य मानव जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
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