काशी में मसाने की होली पर विवाद, विद्वानों ने इसे अशास्त्रीय बताते हुए की बंद करने की मांग

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वाराणसी। अस्सी घाट पर विश्व वैदिक सनातन न्यास के तत्वावधान में काशी तीर्थ धर्म की शास्त्रीय मर्यादा की रक्षा के उद्देश्य से मसाने की होली पर एक विद्वत संगोष्ठी आयोजित की गई। इस संगोष्ठी में वक्ताओं ने श्मशान में होली खेलने की परंपरा को अशास्त्रीय बताते हुए इसे धर्म मर्यादा का उल्लंघन करार दिया और इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की।

विद्वानों ने बताया मसाने की होली को धर्मविरुद्ध

संगोष्ठी की शुरुआत भारत माता पूजन से हुई, जिसके बाद विद्वत परिषद के महामंत्री रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि श्मशान में अनावश्यक रूप से नहीं जाना चाहिए और वहां अधिक समय तक ठहरना भी अनुचित है। उन्होंने स्पष्ट किया कि श्मशान मृत्यु का वासस्थान है, और केवल पापी लोग ही वहां अनावश्यक रूप से जाते हैं। इसलिए मसाने की होली पूरी तरह से अशास्त्रीय है और इसे तत्काल बंद कर देना चाहिए।

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विद्वानों ने भी किया विरोध

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं विश्वनाथ मंदिर के मानित निर्देशक डॉ. विनय पांडेय ने शास्त्र प्रमाणों के उदाहरण देते हुए कहा कि चिताभस्म होली का उल्लेख किसी भी शास्त्र में आम जनों के लिए नहीं है। यह अब एक इवेंट बन चुका है, जो सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।

इसी तरह, बीएचयू के पूर्व विभागाध्यक्ष चंद्रमौली उपाध्याय ने भी मसाने की होली को अनुचित बताते हुए कहा कि आज के युवा सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर इसे परंपरा मान बैठे हैं, जो गलत है।

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काशी की पवित्रता बचाने की अपील

विश्व वैदिक सनातन न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सिंह ने कहा कि काशी के विद्वानों और निवासियों को विचार करना चाहिए कि पिछले कुछ वर्षों से काशी की पवित्रता और शुचिता को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। कुछ लोग मसाने की होली के नाम पर युवाओं को इकट्ठा कर नशे में डुबोकर हुड़दंग मचाने का कार्य कर रहे हैं, जो धर्मसम्मत नहीं है। इसे तत्काल बंद किया जाना चाहिए।

2013 से चली आ रही परंपरा पर उठे सवाल

सनातन दल रक्षक के प्रमुख अजय शर्मा ने कहा कि 2013 से यह अधर्म कार्य हो रहा है, जिसे तत्काल रोकने की जरूरत है। सभी वक्ताओं ने एकमत होकर कहा कि कलयुग और आधुनिकता के प्रभाव में भटके हुए नवयुवकों को यह बताना आवश्यक है कि शास्त्र ही हमारे पथ प्रदर्शक हैं।

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शास्त्रों में बताए गए नियमों का पालन करने से जीवन दिव्य बनता है, जबकि अधर्म के मार्ग पर चलने से समाज और संस्कृति दोनों को नुकसान होता है। इसलिए श्मशान भूमि पर डीजे बजाकर, नशा करके, शवों की भस्म से होली खेलने जैसी गतिविधियां तुरंत बंद की जानी चाहिए।

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संगोष्ठी का संचालन न्यास के प्रदेश संगठन मंत्री अश्वनी त्रिपाठी ने किया। इस दौरान विश्व हिंदू परिषद के कन्हैया सिंह, वैदिक ब्राह्मण सभा के विनय पांडेय (महादेव), केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के पंडित कमल तिवारी एवं राजेश्वर शुक्ला, के.के. सवरवाल, अनिल मिश्रा, अग्रवाल समाज के पंकज अग्रवाल, परितोष सिंह, बीएचयू के सत्यम पांडेय समेत कई गणमान्य व्यक्तियों एवं न्यास के कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही।

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