BHU में पीएचडी प्रवेश को लेकर फिर उठा विवाद, छात्रा का धरना दूसरे दिन भी जारी, करणी सेना ने दिया समर्थन

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वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया एक बार फिर विवादों में घिर गई है। हिन्दी विभाग की छात्रा अर्चिता सिंह बीते 24 घंटे से विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय के सामने धरने पर बैठी हैं। छात्रा का आरोप है कि विभागीय मनमानी के चलते उसे जानबूझकर पीएचडी में प्रवेश से वंचित किया जा रहा है, जबकि प्रतीक्षा सूची में उसका नाम सबसे ऊपर था।

गुरुवार से शुरू हुए इस धरने ने शुक्रवार को नया मोड़ तब लिया, जब करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी छात्रा से मिलने पहुंचे और उसे अपना समर्थन देने का ऐलान किया। उनके आगमन से पहले ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर में भारी संख्या में पुलिस और पीएसी तैनात कर दी थी ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।

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धरने पर बैठी अर्चिता सिंह ने बताया कि उसने पीएचडी प्रवेश की तय काउंसलिंग तिथि पर सभी जरूरी प्रमाणपत्र जमा किए थे। उसका ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) प्रमाणपत्र पिछले वर्ष का था, जिसे बदलने के लिए विभाग से उसे समय मांगा गया। उसने शपथपत्र देकर 31 मार्च तक नया प्रमाणपत्र देने की बात कही और निर्धारित समयसीमा से पूर्व 29 मार्च को ही नया प्रमाणपत्र ईमेल और हार्डकॉपी दोनों रूपों में विभाग को सौंप दिया।

इसके बावजूद, विभाग ने अर्चिता को प्रवेश देने से इनकार कर दिया। उसका दावा है कि विभाग एक राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले छात्र को दाखिला देना चाहता है, और उसी के लिए उसकी पात्रता को नजरअंदाज किया जा रहा है।

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प्रशासन से नहीं मिला संतोषजनक जवाब

छात्रा ने बताया कि वह बीते पंद्रह दिनों से केंद्रीय कार्यालय के चक्कर काट रही है लेकिन कुलपति, कुलसचिव या किसी वरिष्ठ अधिकारी से उसे अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। विभाग की ओर से यह तर्क दिया गया कि शपथपत्र या अंडरटेकिंग की कोई आधिकारिक मान्यता नहीं है, जबकि पूर्व में कई छात्रों को इसी प्रक्रिया के तहत प्रवेश दिया जा चुका है।

पूर्व में भी हुआ था आंदोलन

यह पहला मौका नहीं है जब बीएचयू की पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया सवालों के घेरे में आई हो। कुछ ही दिन पहले छात्र शिवम सोनकर ने इसी तरह के आरोप लगाकर कुलपति आवास के सामने धरना दिया था, जिससे विश्वविद्यालय प्रशासन को शिक्षा मंत्रालय, यूजीसी और अनुसूचित जाति आयोग के समक्ष जवाबदेही निभानी पड़ी थी।

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करणी सेना का ऐलान, "लड़ेगी बिटिया के हक की लड़ाई"

अर्चिता के समर्थन में पहुंचे करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी ने कहा, "हमें इस बिटिया पर गर्व है। जब तक इसका हक नहीं मिलेगा, करणी सेना मजबूती से इसके साथ खड़ी रहेगी।" उन्होंने बताया कि उन्होंने कुलपति से संपर्क करने की कई बार कोशिश की लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। “हमने कुलपति को तीन बार फोन किया, जब बात नहीं बनी तो होड को फोन लगाया। उन्होंने भी गोलमोल जवाब दिया।”

राकेश सिंह ने चेतावनी दी कि अगर अर्चिता को न्याय नहीं मिला तो करणी सेना बीएचयू में बड़े स्तर पर आंदोलन शुरू करेगी। शुक्रवार को थोड़ी देर धरनास्थल पर रुकने के बाद वे मुख्यालय रवाना हो गए लेकिन उन्होंने छात्रा से दोबारा लौटकर आने का वादा किया।

प्रवेश समन्वय समिति के पास पहुंचा मामला

फिलहाल, अर्चिता सिंह का मामला प्रवेश समन्वय समिति को सौंपा गया है, लेकिन अभी तक कोई निर्णायक निर्णय सामने नहीं आया है। छात्रा का कहना है कि जब तक उसे न्याय नहीं मिलेगा, वह धरना खत्म नहीं करेगी। देर शाम तक कई छात्र-छात्राएं भी उसके समर्थन में धरनास्थल पर पहुंच गए थे।
 

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