वट सावित्री व्रत को लेकर असमंजस, जानिये सही तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि 

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वाराणसी। विवाहित महिलाओं के सौभाग्य और पति की दीर्घायु के लिए रखा जाने वाला वट सावित्री व्रत इस वर्ष 26 मई, सोमवार को मनाया जाएगा। व्रत की तिथि को लेकर इस बार कुछ भ्रम की स्थिति थी, लेकिन काशी तीर्थ पुरोहित सभा के अध्यक्ष एवं धर्मकूप (मीरघाट-दशाश्वमेध) स्थित वट सावित्री माता मंदिर के प्रधान पुरोहित पं. कन्हैया लाल त्रिपाठी ने स्पष्ट किया है कि वैदिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 26 मई रात 12:11 बजे से प्रारंभ होकर 27 मई सुबह 08:31 बजे तक है। चूंकि अमावस्या तिथि का उदय 26 मई को हो रहा है, अतः इसी दिन व्रत रखा जाएगा। संयोगवश इस दिन सोमवती अमावस्या भी है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और बढ़ गया है।

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व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत का संबंध महाभारत कालीन सावित्री और सत्यवान की कथा से जुड़ा है। धार्मिक मान्यता है कि सावित्री ने अपने तप और निष्ठा से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। इसी कारण महिलाएं इस दिन वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं और सावित्री जैसी पतिव्रता बनने की कामना करती हैं। यह व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत की महिलाओं में लोकप्रिय है, जबकि दक्षिण भारत, महाराष्ट्र और गुजरात में इसे कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

पूजन विधि और व्रत नियम


•    महिलाएं इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं और दिनभर निर्जल उपवास रखती हैं।
•    व्रत के दौरान लाल वस्त्र पहनना और 16 श्रृंगार करना शुभ माना जाता है।
•    वट वृक्ष की पूजा कर उसकी सात बार परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत (कलावा) लपेटा जाता है।
•    वट सावित्री कथा सुनना अनिवार्य है। इसके बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
•    बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना और पति से मधुर व्यवहार करना व्रत की सिद्धि में सहायक माना गया है।
•    इस दिन तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए और मन, वचन व कर्म से पवित्रता बनाए रखनी चाहिए।


व्रत पूजन सामग्री


1.    वट वृक्ष की टहनी या पास में स्थित वट वृक्ष
2.    कच्चा सूत (कलावा)
3.    बांस का पंखा
4.    रक्षासूत्र, पान के पत्ते
5.    श्रृंगार सामग्री: चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेंहदी, कंघी, साड़ी आदि
6.    काले चने (भिगोए हुए), नारियल, बताशा, फल
7.    व्रत कथा की पुस्तक और सावित्री-सत्यवान की फोटो
8.    धूप, दीपक, अगरबत्ती
9.    पूजा थाली या टोकरी
10.    अक्षत, रोली, कुमकुम, चंदन, सुपारी, फूल
11.    सवा मीटर लाल या पीला कपड़ा
12.    पानी का कलश
13.    मिठाई और सात प्रकार के अनाज

पं. त्रिपाठी ने बताया कि मीरघाट स्थित धर्मकूप मोहल्ले में कंचन वट सावित्री माता का संयुक्त मंदिर है, जहां इस दिन पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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