मंच पर जीवंत हुई छत्रपति की जीवन गाथा, 17वीं सदी के कालखंड में खोए दर्शक, बीएचयू में जाणता राजा का भव्य मंचन
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एम्फी थियेटर में दूसरे दिन बुधवार को भी शिव शाहिर बाबा साहेब पुरंदरे रचित महानाट्य जाणता राजा का भव्य मंचन किया गया। कलाकारों ने अपने अभिनय से मंच पर छत्रपति शिवाजी की जीवन गाथा को जीवंत कर दिया। वहीं दर्शक 17वीं सदी के मराठा गौरव के कालखंड में खो गए। 21 से शुरू महानाट्य का मंचन 26 नवंबर तक होगा।
छत्रपति शिवाजी महाराज युग को फिर से जीवंत बनाने के लिए नाटक में उस समय के परिवेश सहित हाथी, ऊंट, घोड़े जैसे जानवरों को भी शामिल किया गया है, ताकि उसकी रोचकता बनी रहे। नाटक में 250 से अधिक कलाकारों की स्टारकास्ट है। शानदार आतिशबाजी, 17 वीं शताब्दी के दृश्यों से मनोरंजन, जिसमें शिवाजी महाराज के जन्म से पहले का युग, उनका जन्म, उनकी परीक्षण करने की शैली, अफजल खान की हत्या, आगरा से पलायन और राज्याभिषेक समारोह इस नाटक को शानदार बनाते हैं। अपने शत्रु छत्रपति शिवाजी का औरंगजेब अपने छत्रपों और सेना के सामने जिस तरह से वर्णन करता है, दर्शक ताली बजाने पर मजबूर हो जाते हैं। वाराणसी से गागा भट्ट का महाराष्ट्र जाना और शिवाजी का राज्याभिषेक करने को बहुत अच्छे ढंग से दर्शाया गया है। बाल शिवाजी के व्यक्तित्व में जीजा मां की क्या भूमिका है, नाटक देखकर आसानी से समझा जा सकता है। हिंदवी स्वराज की स्थापना, हिंदू ध्वज के प्रति सम्मान भाव इस नाटक में बहुत खूबसूरती से चित्रित किए गए हैं।
वाराणसी में इस महानाट्य का मंचन बड़े ही पवित्र उद्देश्य से किया जा रहा है। सेवा भारती, काशी प्रांत की ओर से नाटक के टिकट बिक्री से हुई आय से वाराणसी में एक विशाल आश्रयगृह बनाया जाएगा। इसमें इलाज के लिए बनारस आए मरीजों के परिजनों को रुकने इत्यादि की व्यवस्था कराई जाएगी। महानाट्य का मंचन प्रबंधन, समन्वय व महायोजना के निर्माण से लेकर क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सेवा भारती, काशी प्रांत की है। काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश के मार्गदर्शन में सेवा भारती इस नाटक के मंचन, हिंदवी स्वराज का स्मरण और मानवता को समर्पित उद्देश्य मील का पत्थर स्थापित कर रहा है।
इन कलाकारों ने निभाए रोल
महानाट्य में जीजाबाई तेजस्विनी नागरे बनी हैं। छत्रपति शिवाजी का अभिनय अभिजीत पाटने कर रहे हैं। औरंगजेब डा अजीत राव आप्टे बने हैं। अफ़ज़ल खां के चरित्र को सुनील बहरे ने बखूबी निभाया है। तरुण शिवाजी यानी राजे का अभिनय योगेश भंडारे ने किया है, जबकि आदिल शाह गौरव शिरोड़े बने हैं। शाहीर महेश अंबेकर व शई बाई साहेब (शिवाजी की पहली पत्नी) का अभिनय शिवांगी शेडगे ने किया है। ये सभी कलाकार पुणे, महाराष्ट्र के हैं। कुछ कलाकर स्थानीय स्तर पर वाराणसी के भी शामिल किए गए हैं, लेकिन उनसे ज्यादा काम नहीं लिया गया है। नाटक का मंचन पुणे, महाराष्ट्र की संस्था द्वारा किया जा रहा है।
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