जाणता राजा का मंचन देखने पहुंचे डिप्टी सीएम, बोले, काशी में 100 दिन के अंदर छत्रपति और पंडित गागाभट्ट की प्रतिमा का अनावरण

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वाराणसी। सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक से लेकर वीर शिवाजी महाराज, देवी अहिल्याबाई, सरदार वल्लभभाई पटेल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समय-समय पर देश को संकट से उबारने कार्य किया है और परिस्थितियों को समझकर विपरीत माहौल में विधर्मियों से लड़ा और भगवा ध्वज को फहराया है। जाणता राजा का अर्थ बुद्धिमान और दूरदर्शी राजा होता है, छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक काशी के वेदमूर्ति विद्वान पंडित गागा भट्ट ने ही कराया था। उक्त विचार उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बीएचयू के एम्फी थियेटर में महानाट्य मंचन के छठवें दिन मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। उन्होंने वाराणसी के महापौर अशोक तिवारी से कहा कि आशा है कि 100 दिन के अंदर शिवाजी महाराज और पंडित गागाभट्ट की प्रतिमा काशी में लगा दी जाएगी। आज भारतीय चिंतन परम्परा को गहराई से अध्ययन की आवश्यकता है। मैदान में उपस्थित जनसमूह को देखकर उन्होंने काशी प्रान्त प्रचारक रमेश की खूब सराहना की और कहा कि आप के संगठन कौशल के कारण यह कार्यक्रम इतिहास रचने जा रहा है।

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उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदू साम्राज्य की स्थापना करने वाले शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित महानाट्य से समाज में युवा शक्ति को प्रेरणा लेकर उनके जैसा व्यक्तित्व निर्मित करना चाहिए। भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय के इस प्रांगण में आकर गर्व का अनुभव कर रहा हूं। इस भाव भूमि में आने का अवसर प्रदान करने के लिए सेवा भारती के प्रांत अध्यक्ष राहुल सिंह का विशेष आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि काशी की धरती पर अयोध्या राममंदिर की चर्चा करना चाहता हूं। 

550 वर्षों बाद भगवान राम लाल होंगे विराजमान  
550 वर्षों बाद 22 जनवरी को भगवान राम लाल विराजमान होंगे और मुख्य जजमान के तौर पर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहेंगे। सन 1986 में भगवान राम ताले के अंदर बंद थे। ताला खुलवाने के लिए आंदोलन के बाद 1 फरवरी 1986 को ताला खुल गया। भगवान सोमनाथ की धरती से भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राम मंदिर निर्माण हेतु निकली यात्रा के कर्ताधर्ता नरेंद्र मोदी जब देश के प्रधानमंत्री बने तो रामलला की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण की घड़ी आयी। 

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लखनऊ के माधव सेवा केंद्र की तर्ज पर काशी में हो निर्माण 
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक पहले हूं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं। स्वयंसेवक और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता के रूप में कारसेवा-शिला पूजन सहित कई कार्य किए हैं। लखनऊ में पीजीआई अस्पताल समीप माधव सेवा केंद्र जैसा प्रकल्प स्थापित है, जिससे इलाज के लिए आने वाले बेसहारा लोगों को बड़ी मदद मिलती है। इसी तर्ज पर काशी में भी निर्माण होना चाहिए। मैं स्वयं 11 लाख की राशि निर्माण में सहयोग करूंगा। 

2014 के बाद हर क्षेत्र में प्रगति  
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जब छत्रपति शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व को आदर्श मानकर राष्ट्रवादी नेतृत्व को देश की जनता ने चुना तो 2014 के बाद हर क्षेत्र में प्रगति देखने को मिली और आगे भी प्रगति आप सब देखेंगे। देश विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है और बाबा काशी विश्वनाथ धाम में भी कॉरिडोर अपनी भव्यता के चरम पर है। ज्ञानवापी का सर्वे हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में मथुरा में बांके बिहारी के दर्शन किए।

 

6 दिन में 80 हजार दर्शक 
जाणता राजा महानाट्य मंचन के अंतिम दिन अध्यक्ष के रूप में उपस्थित कथावाचक शांतनु जी महाराज ने भारत माता की जय व जय भवानी जय शिवाजी के जयघोष से अपनी बात की शुरुआत की और कहा कि "प्रत्यक्षं किम प्रमाणं" यानी प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती। 6 दिनों में काशी प्रांत के विभिन्न जिलों से आए लगभग 80 हजार दर्शकों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के विराट व्यक्तित्व को सीने में बसाया। भाव-विभोर दर्शकों ने अनुभव किया कि 350 वर्ष पूर्व यदि महाराज शिवाजी का जीवन अनिवार्य आवश्यक था तो आज 350 वर्ष बाद भी छत्रपति शिवाजी का जीवन प्रासंगिक है। 

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जाणता राजा मंचन के अंतिम दिन उमड़ा दर्शकों का सैलाब
वीर शिवाजी महाराज के जन्म से लेकर छत्रपति बनने तक की ऐतिहासिक गौरव गाथा को 3 घंटे के अंदर सेवा भारती के तत्वाधान में आयोजित महानाट्य में समेटने का प्रयास दिव्यता से भरपूर भव्य एवं अद्भुत रहा। नाटक के आरंभ में बताया गया कि यह 1143वां मंचन था। 300 से अधिक कलाकारों की स्टारकास्ट, बहुमंजिला सेट, लकदक करती कॉस्टयूम, सुरम्य संगीत, चकाचौंध प्रकाश व्यवस्था, हाथी, ऊंट, घोड़े पर सवार सैनिक और संगीत गीत से सजे महानाट्य को खचाखच भरी हजारों दर्शकों ने मंत्रमुग्ध होकर देखा। नाटक में कथ्य दर्शाने के लिए संवाद से अधिक गीतों का प्रयोग किया गया। सूत्रधार के माध्यम से भी घटनाओं का सजीव चित्रण किया गया। रिकॉर्ड संवाद, गीत और बैकग्राउंड संगीत के बीच सभी कलाकारों के लिप्स मूवमेंट की टाइमिंग बेहतरीन रही। मराठी नृत्य और मराठी गानों के तालमेल ने जाणता राजा महानाट्य को शानदार बना दिया। इस महानाट्य में गोंधल, पोवडा, अभंगा और लवानी जैसे लोकगीतों को शामिल किया गया है।

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