रोपवे का कैंट स्टेशन होगा भव्य और आकर्षक, त्रिशूल, नंदी और तीसरी आंख से निखरेगी स्टेशन की दिव्य शोभा
वाराणसी। देश के पहले अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे स्टेशन (ropeway station) की डिजाइन फाइनल हो गई है। स्टेशन का बाहरी आकार तय कर दिया गया है। बाहरी माडल में शिव और काशी की झलक दिखाई पड़ेगी। कैंट स्टेशन (Cantt Station) पर एल्युमिनियम कंपोजिट पैनल से डमरू, नंदी और त्रिशूल बनाए जाएंगे, जबकि काशी विद्यापीठ स्टेशन (Kashi Vidyapeeth Station) पर भोलेनाथ का बड़ा चित्र होगा।
इसमें खास तरह के मेटल का प्रयोग होगा। चित्र में भगवान शिव बैठे हुए रहेंगे जबकि उनकी जटा से गंगा निकलेंगी। रथयात्रा स्टेशन पर संस्कृत में श्लोक लिखे जाएंगे। स्वीकृत माडल का दिल्ली में प्रस्तुतिकरण किया जाएगा। पिछले दिनों बनारस पहुंचे पहले मोनोकेबल डेटाचेबल गोंडोला का माडल पीएम मोदी ने देखा। उन्होंने प्रोजेक्ट को मई तक धरातल पर उतारने के आदेश दिए हैं।
गोंडोला के माडल का शुभारंभ हो चुका है, अब गोंडोला को रोप पर इंस्टाल किया जाएगा। प्रधानमंत्री को गोंडोला की तकनीकी खूबियां वीडियो के जरिए दिखाई गईं। गोंडोला की पहली खेप बनारस आ चुकी है, ऐसे कुल 148 गोंडोला आएंगे। रुद्राक्ष इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर की तरह रोपवे स्टेशन पर भी बनारस का धार्मिक स्वरूप दिखाया जाएगा। उद्देश्य है कि अगर कोई पर्यटक रोपवे स्टेशन पहुंचता है तो आकृतियों के जरिए वह काशी की पुरातन संस्कृति के बारे में जानकारी ले सके।
रथयात्रा स्टेशन को एल आकार में बनाएंगे, क्योंकि यहां पर रूट में घुमाव है। रोपवे की कुल दूरी 3.85 किलोमीटर होगी, जो करीब 16 मिनट में तय की जा सकेगी। 35 से 45 मीटर की ऊंचाई से करीब 150 ट्राली कार चलेगी। इस योजना की लागत 807 करोड़ निर्धारित है।
मार्च तक इसका किराया निर्धारण कर दिया जाएगा, लेकिन यह बस और टैक्सी की तुलना में काफी कम होगा। नेशनल हाईवे लाजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड की प्रबंधक पूजा मिश्रा ने बताया कि कोशिश हो रही है कि समय पर ट्रायल रन कर दिया जाए। वीडीए के अधिशासी अभियंता आनंद मिश्रा ने बताया कि गोंडोला को ठीक ढंग से स्थापित करने क्री कोशिश है। काम समय पर पूरा करना है ताकि जनता को सुविधा दी जा सके।
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