देश भर के सुलेखकों ने बाबा विश्वनाथ और मां गंगा को अर्पित की अक्षरों की धारा, BHU में अक्षरों का महाकुंभ टाइपोडे 

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वाराणसी। BHU के दृश्य कला संकाय में आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार ‘टाइपोडे-23’ के दूसरे दिन व्याख्यान सत्रों का शुभारंभ शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में हुआ। इस दौरान देश भर के सुलेखकों ने बाबा विश्वनाथ व मां गंगा को अक्षरों की धारा सौंपी। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति बाबा विश्वनाथ व मां गंगा को समर्पित किया। 

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उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. एसवीएस राजू और अध्यक्षता दृश्य कला संकाय की प्रमुख प्रो.उत्तमा दीक्षित रहीं। टाइपोडे सम्मेलन की ख्याति भारत में टाइपोग्राफी जगत के महाकुम्भ के रूप में है। पहली बार इस सम्मेलन का आयोजन उत्तर भारत में हो रहा है। टाइपोडे के इस 13वें संस्करण के आयोजन का थीम है “द सेक्रेड एंड टाइपोग्राफी” उद्घाटन सत्र के पूर्व प्रातः काल में सम्मेलन में शिरकत कर रहे विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों ने असि घाट पर सुबह-ए-बनारस आरती देखी। देश भर से आए सुलेखकों ने मिलकर अपनी कला का प्रदर्शन किया। चार फीट गुणे पांच सौ फीट के पेपर रोल पर विभिन्न कलाकारों ने अपनी कूची से हर हर महादेव, गंगा स्तुति, विश्व शांति आदि की प्रार्थना करते हुए शब्द चित्र उकेरे। कलाकरों ने अपनी कला प्रस्तुति को बाबा विश्वनाथ और माँ गंगा को समर्पित किया।

सम्मेलन के दूसरे दिन चार व्याख्यान सत्र और दो विशिष्ट व्याख्यान हुए। इन व्याख्यान सत्रों में 16 वक्ताओं ने व्याख्यान दिये। व्याख्यान सत्र की शुरुआत प्रोफेसर आरके जोशी स्मृति व्याख्यान से हुई, जिसमें पशुपति परमेश्वर राजू ने व्याख्यान दिया। राजू ने कैलीग्राफीक स्ट्रोक्स से जरिए पूरे रामायण को प्रदर्शित किया। उन्होंने बताया कि भगवान राम के जीवन चरित को इन स्ट्रोक्स में उकेरने के लिए उन्होंने बीस साल तक जतन किया है। उनका यह काम जल्द ही पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित होगा। उन्होंने बताया कि कैलिग्राफी एक तरह की साधना है, रेखाओं को खींचते हुए आप अपनी सांसों को ठीक उसी तरह साधते हैं जैसे मेडिटेशन के दौरान। 


एक दूसरे सत्र के दौरान देहरादून के यूपीईएस विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, ईशान खोसला ने अपने व्याख्यान में रामायण के किरदारों के जरिए बनाए जा रहे फॉन्ट के काम को प्रदर्शित किया। उन्हें अपने 'रामायण फॉन्ट' को तैयार करने के लिए किसी लोक कला की तलाश थी, जो मधुबनी कला को देखकर पूर्ण हुई। मिथिला के कलाकार प्रद्युमन कुमार और पुष्पा देवी के सहयोग से उन्होंने रामायण के चरित्रों को अंग्रेजी वर्णमाला के फ़ॉन्ट करैक्टर में तब्दील करने की प्रक्रिया पर व्याख्यान दिया। अन्य सत्रों में मुथु नेदुमारण, संतोष ठोत्तिंगल, नारायण भट्टथिरि, अंकिता सरीन आदि ने विभिन्न भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी का सहारा लेकर फॉन्ट निर्माण की प्रक्रिया पर विचार साझा किया। इस दौरान अन्य विशेषज्ञों ने भी अपने विचार दिए।

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