अल्पसंख्यकों के पुराने नेता अतहर जमाल लारी को बसपा ने बनाया उम्मीदवार, पीएम मोदी के खिलाफ ठोकेंगे चुनावी ताल
अतहर जमाल लारी इससे पहले भी 2004 में अपना दल से वाराणसी लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ चुके हैं। इससे पहले उन्होंने 1984 में जनता दल से वाराणसी लोकसभा सीट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सपा का दामन थामा था। अब व बसपा के टिकट पर बनारस से चुनाव लड़ेंगे।
अतहर जमाल लारी लोकसभा के अलावा विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। वह वर्ष 1991 में जनता दल से कैंट विधानसभा से विधानसभा चुनाव लड़े। इसके बाद पुन: 1993 में भी जनता दल से कैंट विधानसभा से चुनाव लड़े। 2012 में शहर की प्रमुख दक्षिणी विधानसभा सीट से कौमी एकता दल के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं।
लारी अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं। उनकी अल्पसंख्यकों में काफी अच्छी पकड़ है। पुराने नेता होने के कारण उनकी राजनीतिक सूझबूझ भी मजबूत मानी जाती है। जिस कारण बीएसपी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पीएम मोदी के सामने बसपा के प्रत्यासी अतहर जमाल लारी का लड़ने से वाराणसी का राजनीतिक समीकरण बदल सकता है।
बिगड़ सकता है राजनीतिक समीकरण
समर्थकों का मानना है कि लारी के बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने से राजनीतिक रूप से समाप्ति के कगार पर पहुंच चुकी पार्टी में जान आएगी। इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि अल्पसंख्यक होने के कारण अल्पसंख्यकों का एकतरफा वोट लारी के पक्ष में पड़ सकता है। जिससे भाजपा-सपा-कांग्रेस तीनों के वोटबैंक में सेंधमारी हो सकती है। खैर, यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि अतहर जमाल लारी के वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से बसपा को कितना फायदा होगा अथवा किसका समीकरण बदलेगा। वाराणसी लोकसभा सीट पर 1 जून को मतदान होना है और इसके नतीजे 4 जून को घोषित किये जाएंगे।
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।