108वीं जयंती पर याद किए गये बिसमिल्लाह खान, कुरान की आयतें पढ़कर की गई दुआख्वानी
वाराणसी। फातमान दरगाह पर भारत रत्न बिसमिल्लाह खान की 108वीं जयंती मनायी गई। बिस्मिल्लाह खान फाउंडेशन के ओर से खान साहब के मकबरे पर फातिहा पढ़ दुआख्वानी की गयी। इस दौरान बिसमिल्लाह खान के परिवार के लोग व कई मुस्लिम समुदाय के लोग मौजूद रहे।
बिसमिल्लाह खान को चाहने वालों ने उनके कब्र पर कब्र पर श्रद्धा फूल चढ़ाए चढ़ा कर उनकी जयंती मनाई। शकील अहमद जादूगर ने बताया आज ही के दिन 1916 को डुमराव,बिहार के एक गरीब परिवार में इस महान शहनाई वादक का जन्म हुआ। इन्होंने अपनी पूरी जिंदगी वाराणसी की तंग गलियों में बेनियाबाग के पास बितायी।
जिस समय 1947 में हिंदुस्तान आजाद हुआ, उस समय सरकार ने उन्हें लालकिले पर शहनाई बजाने का मौका दिया। इसके बाद जब हिंदुस्तान का संविधान लागू हो रहा था, तब 1950 में फिर शहनाई बजाने का मौका दिया गया। ऐसे महान कलाकार को उनकी जयंती पर नमन करते हुए कुरान की आयतें पढ़कर दुआख्वानी की गयी।
बिसमिल्लाह खान के पौत्र अशफाक हैदर खान ने कहा कि फातमान की यह वही दरगाह है, जहां बिसमिल्लाह खान साहब मुहर्रम की आठ और दस को चांदी की शहनाई से आंसुओं का नजराना पेश करते थे। हम सभी ने कुरान पढ़कर दुआख्वानी की।
कार्यक्रम में डॉ० सोमा घोष, पद्मश्री शांतनु राय, मुर्तुजा अब्बास, अफाक हैदर, नजमुल हसन, अब्बास फरमान समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।
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