अनुसंधान के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा बीएचयू (BHU) का साथी (SATHI) सेंटर

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रिपोर्टर-ओमकारनाथ

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से केंद्रीय अनुसंधान में साथी (SATHI) सेंटर ठोस, द्रव और गैस की जांच के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। आगे चलकर यह केंद्र उद्योग जगत से लगायत अन्य जांचों के लिए विशेष योगदान देगा। आत्मनिर्भर भारत की सोच के तहत इस सेंटर में विभिन्न प्रकार के परिष्कृत और तकनीकी जांच के लिए अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित है। 

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‘साथी‘ के समन्वयक व बीएचयू के विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर अनिल कुमार त्रिपाठी के मार्गदर्शन में साथी सेंटर निरंतर नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। साक्षी सेंटर के लिए एबलेशन आइसोटोप अनुपात मास स्पेक्ट्रोमेट्री (SATHI) प्रयोगशाला में कार्यरत वैज्ञानिक डॉ. विवेक कुमार पांडेय ने बताया कि लगभग 8 करोड़ की लागत से तैयार SATHI) प्रयोगशाला भारत के कुछ चुनिंदा प्रयोगशालाओं में से एक है। यहां पदार्थ के हर अवस्था जैसे ठोस, द्रव और गैस के नमूनों की जांच आसानी से हो जाती है। डॉ. पांडेय ने बताया कि मनुष्यों की तरह हर पदार्थ का अपना एक निश्चित फिंगरप्रिंट होता है। इसी सिद्धांत के आधार पर यहां विभिन्न नमूनों के स्थायी आइसोटोप (मुख्यतः कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन व सल्फर) की जांच कर उस पदार्थ की भौगोलिक उत्पत्ति का स्थान, समय, वातावरण और भौतिक रासायनिक व जैविक क्रियाओं के बारे में बता सकते हैं। उन्होंने भविष्य में आइसोटोप फिंगरप्रिंट की मदद से खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता व प्राकृतिक गंध, तेल की गुणवत्ता का प्रमाण पत्र भी जारी किया जाएगा।

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इस दिशा में अभी शोध जारी है। वर्तमान में भूगर्भ शास्त्र, जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, सिविल व पर्यावरण इंजीनियरिंग, फूड साइंस आदि विषयों के शोधार्थी व विशेषज्ञ अपने नमूनों की जांच कराते हैं। उद्योग जगत के आवश्यक मानकों को पूरा करने के लिए साथी बीएचयू ने राष्ट्रीय प्रशिक्षण और अंश शोधन प्रयोगशाला प्रत्यानयन बोर्ड (एनएबीएल) में आवेदन किया है। बोर्ड शीघ्र सेंटर गुणवत्ता का प्रमाण पत्र जारी करेगा जो कि वैश्विक स्तर पर मान्य होगा। इससे हमारे उद्योगों की गुणवत्ता प्रमाण पत्र के लिए अन्य देशों पर निर्भरता खत्म होगी। यह भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को पूर्ण करने की दिशा में सार्थक कदम होगा। डॉ. विवेक कुमार पांडेय ने बताया कि सेंटर समय-समय पर प्रशिक्षण व कार्यशाला आयोजित करता रहता है जिससे शोधार्थियों में कौशल विकसित कर सकें। अब तक राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 400 शोधार्थी प्रोफेसर उद्योग जगत आदि से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित किये जा चुके हैं।

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‘साथी‘ मुख्य परिचालन अधिकारी सेंटर में जांच करवाने के लिए कोई भी व्यक्ति निर्धारित शुल्क जमा कर ऑनलाइन बुकिंग या स्वयं सेंटर पर आकर नमूनों की जांच करवा सकता है। मुख्य परिचालन अधिकारी सैकत सेन के नेतृत्व में कार्यरत विभिन्न प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिक साथी केंद्र पर विभिन्न लोगों के मार्गदर्शन के कार्य कर रहा है। बता दें कि वर्तमान में साथी केंद्र पर भारत के शैक्षणिक संस्थानों उद्योग जगत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी नमूने जांच के लिए आ रहे हैं। इस सेंटर का मुख्य उद्देश्य युवाओं में कौशल विकास करना वैसे शोध को बढ़ावा देना है जो उद्योग जगत की आवश्यकताओं को पूरा कर सके।

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