बीएचयू का 103वां दीक्षांत समारोह : 32 मेधावियों को गोल्ड मेडल, 3 को डी.लिट, 14680 छात्र-छात्राओं को उपाधियां
वाराणसी। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने युवाओं का आह्वान किया है कि वे अपने ज्ञान व क्षमताओं का विस्तार करते हुए सामाजिक विकास में योगदान दें। स्वतंत्रता भवन में आयोजित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के 103वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए प्रो. सूद ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को उभरती प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में आगे बढ़कर अपनी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज विश्व प्रशंसा व ऐसी अपेक्षाओं की नज़र से भारत को देख रहा है कि वह स्वच्छ ऊर्जा, जल समाधानों, स्वच्छ पर्यावरण, तथा सतत विकास जैसे वैश्विक विषयों के समाधान हेतु योगदान देगा।
प्रो. सूद ने कहा कि शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष, तथा समग्र समाज का योगदान, एक सशक्त राष्ट्र के लिए चार महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। उन्होंने लंबे समय से इन स्तंभों के अलग अलग होकर कार्य करने की ओर इंगित करते हुए कहा कि अब इस भेद को ख़त्म करने का समय आ गया है तथा इन चारों के बीच गहरे मेल के साथ कार्य करने की ज़रूरत है।
क्रमिक विकास के बजाए मूलभूत रूप से प्रगति केन्द्रित दृष्टिकोण को अपनाने का आह्वान करते हुए प्रो. सूद ने कहा कि हमें ऐसे विचारों के साथ आगे बढ़ना होगा जो परिवर्तनकारी विकास को गति दें। विज्ञान की भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रो. सूद ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वंदनीय संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी को उद्धृत किया और कहा कि आज का आधारभूत विज्ञान आने वाले कल की प्रौद्योगिकी में बदल जाएगा।
मुख्य अतिथि ने कहा कि भारत को इस बात का एहसास है कि उसे डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं समकालीन महत्व के क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप स्तर बनाना है, और इसी के मद्देनज़र भारत सरकार ने साईबर फिज़िकल सिस्टम, सेमिकंडक्टर्स, एवं कृत्रिम बौद्धिकता के लिए राष्ट्रीय मिशन आरंभ किए हैं। इस क्रम में अनुसंधान नेशनल रीसर्च फाउंडेशन की पहल महत्वपूर्ण है। प्रो. सूद ने बताया कि आने वाले समय में क्वॉन्टम प्रौद्योगिकी के महत्व को देखते हुए भारत सरकार Quantum Mission भी लागू कर रही है। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से अपील किया कि इन उभरती प्रौद्योगिकियों की दिशा में वह आगे बढ़कर योगदान दे।
मुख्य अतिथि ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों का उद्देश्य होना चाहिए कि वे शिक्षण, अधिगम और अनुसंधान में नवाचार को बढ़ावा दें और नए विचारों, नई प्रौद्योगिकियों और नई दुनिया के विचारों को प्रोत्साहित करें। शिक्षा जगत, उद्योग और व्यवसाय की आवश्यकताओं के अनुरूप क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक आवश्यकताओं के प्रति सचेत एक सजग कार्यबल तैयार करने की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक कदम है।
स्वागत भाषण देते हुए कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को अपनी शैक्षणिक विरासत तथा पारंपरिक ज्ञान व्यवस्था के आधुनिक शिक्षा के साथ मेल के लिए जाना जाता है। विश्वविद्यालय के मूल्य सामाजिक ज़िम्मेदारियों, समग्रता, तथा शिक्षा, अनुसंधान, व सामुदायिक सक्रियता के ज़रिये देश के विकास में योगदान हेतु प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं।
स्वतंत्रता भवन में आयोजित 103वें दीक्षांत के मुख्य समारोह में 28 विद्यार्थियों को 32 पदकों से सम्मानित किया गया। इनमें कुलाधिपति पदक, स्वर्गीय महाराजा विभूति नारायण सिंह स्वर्ण पदक, तथा बीएचयू पदक शामिल थे। (सूची संलग्न) दीक्षांत कार्यक्रम के अंतर्गत 14680 विद्यार्थियों को उपाधियां (7602 स्नातक, 6002 स्नातकोत्तर, 32 एम.फिल, तथा 1044 पीएचडी) प्राप्त की जा रही हैं। दीक्षांत में 3 डी-लिट भी प्रदान की जा रही हैं। सभी संस्थानों व संकायों में कुल 539 पदक प्रदान किए जा रहे हैं।
मुख्य समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय ने किया। उन्होंने उपाधि प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को प्रतिज्ञा दिलाई। कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने उपाधि व पदक प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों की घोषणा की। कुलगुरू प्रो. वीके शुक्ला ने मुख्य अतिथि का परिचय प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के आरंभ में प्रो. पतंजलि मिश्र ने मंगलाचरण किया। प्रो. पद्मिनी रविन्द्रनाथ ने संचालन किया। समारोह का समापन कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह द्वारा धन्यवाद संबोधन से हुआ।
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।