BHU में पीएचडी प्रवेश नियमावली के खिलाफ छात्रों का विरोध जारी, अपर परीक्षा नियंत्रक का फूंका पुतला
प्रदर्शन के दौरान धक्कामुक्की
पुतला दहन के दौरान बीएचयू प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षाकर्मियों और छात्रों के बीच तीखी झड़प हुई। सुरक्षाकर्मी बार-बार पुतला छीनने का प्रयास करते रहे, लेकिन छात्र अंततः पुतला जलाने में सफल रहे। प्रदर्शनकारी छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया कि पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर लंबे समय से छात्रों को गुमराह किया जा रहा है।
छात्रों का आरोप: प्रशासन कर रहा है मानसिक उत्पीड़न
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे दिव्यांश दुबे ने कहा कि बीएचयू प्रशासन छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है। उन्होंने कहा, "वर्ष में दो बार होने वाले पीएचडी प्रवेश को अब तीन साल में एक बार किया जा रहा है। इससे छात्रों को सीधा नुकसान हो रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन भ्रष्ट हो चुका है और उसका उद्देश्य केवल छात्रों का मानसिक उत्पीड़न करना है।"
छात्रों की प्रमुख मांगें
छात्रों ने प्रशासन के समक्ष निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
1. पीएचडी साक्षात्कार में ऑल कॉलिंग की व्यवस्था: 2024 में नेट पास सभी अभ्यर्थियों को इंटरव्यू प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
2. सभी श्रेणियों में सीटों का समान वितरण: सीट आवंटन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए।
3. निलंबन और निष्कासन मामलों की समीक्षा: कुलपति जैन के कार्यकाल में निलंबित और निष्कासित छात्रों के मामलों की निष्पक्ष जांच की जाए।
4. रिव्यू कमेटी का गठन: डिसिप्लिनरी एक्शन कमेटी के तर्ज पर रिव्यू कमेटी बनाई जाए ताकि छात्रों पर द्वेषपूर्ण कार्रवाई रोकी जा सके।
प्रदर्शनकारियों का संकल्प
छात्रों का कहना है कि उनकी मांगे पूरी होने तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो आंदोलन और भी बड़ा रूप ले सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम पर बीएचयू प्रशासन की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने सुरक्षा बढ़ा दी है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए चौकसी बढ़ाई है।
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