BHU ने तैयार की टेंपरेचर सोडियम आयन बैटरी, एक बार चार्ज होने पर 1000 किमी तक चलेगी, जानिये खासियत
वाराणसी। बीएचयू के प्रोफेसर और उनकी टीम ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक क्रांतिकारी खोज की है। विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग ने लिथियम आयन बैटरी का बेहतर और पर्यावरण के अनुकूल टेंपरेचर सोडियम आयन बैटरी विकल्प विकसित किया है, जो एक बार चार्ज करने पर 1000 किलोमीटर तक की दूरी तय करने की क्षमता रखती है।

यह प्रोजेक्ट BHU के भौतिक विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर राजेंद्र कुमार सिंह और उनकी टीम द्वारा तैयार किया गया है। टीम में शामिल शोध छात्र और छात्राओं ने बैटरी का शुरुआती परीक्षण एक इलेक्ट्रिक साइकिल पर किया, जिसमें एक बार की चार्जिंग पर 55 किलोमीटर तक की दूरी तय की गई। यह प्रयोग बैटरी की दक्षता और स्थायित्व को दर्शाता है। प्रो. सिंह के अनुसार, जब इस तकनीक को बड़े स्तर पर विकसित किया जाएगा, तो यह बैटरी एक बार चार्ज पर 1000 किलोमीटर तक इलेक्ट्रिक वाहनों को चला सकेगी।

इस बैटरी की खासियत यह है कि इसे औद्योगिक कचरे से प्राप्त सल्फर की मदद से तैयार किया गया है। यह तकनीक न केवल लिथियम बैटरी की तुलना में सस्ती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है। लिथियम की सीमित उपलब्धता और उसके खनन से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को देखते हुए यह खोज बेहद अहम मानी जा रही है।

टेंपरेचर सोडियम आयन बैटरी खासतौर पर भारतीय मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विकसित की गई है। यह बैटरी अत्यधिक तापमान में भी कार्य करने में सक्षम है, जो इसे पारंपरिक बैटरियों से बेहतर बनाता है। इस शोध को आगे बढ़ाने के लिए BHU ने ऊर्जा मंत्रालय की अनुसंधान संस्था सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु के साथ एमओयू (MoU) साइन किया है। आने वाले दो वर्षों में इस प्रोजेक्ट को पूर्ण रूप से तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद इस बैटरी का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर आम लोगों के लिए उपलब्ध कराने की योजना है।

प्रो. राजेंद्र सिंह ने बताया कि यह तकनीक न सिर्फ इलेक्ट्रिक दोपहिया और चारपहिया वाहनों के लिए उपयोगी साबित होगी, बल्कि यह देश को स्वदेशी बैटरी उत्पादन की दिशा में भी आत्मनिर्भर बनाएगी। यह बैटरी भविष्य में हरित ऊर्जा और ई-मोबिलिटी के क्षेत्र में बड़े बदलाव में मददगार साबित हो सकती है।



