नाटी इमली का भरत मिलाप : 480 सालों से चली आ रही परंपरा, विशिष्टजन बोले, काशी का यही महत्व, भगवान का कर सकते हैं साक्षात्कार 

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वाराणसी। काशी के लक्खा मेला में शुमार नाटी इमली के विश्व प्रसिद्ध मरत मिलाप की लीला पिछले 480 सालों से हो रही है। यादव बंधु पांच टन वजनी रथ पर प्रभु श्रीराम को आसीन कराकर इसे अपने कंधों पर ढोते हुए नंगे पैर चलते हैं। इस अद्भुत पल को निहारने के लिए काशी के साथ ही देश-विदेश से श्रद्धालु व पर्यटक जुटते हैं। आज चारों भाइयों के मिलन के साक्षी बने विशिष्टजन भावविभोर दिखे। बोले, काशी की यही महत्व है कि भगवान का साक्षात्कार होता है। 

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भरत मिलाप की लीला का आयोजन करने वाली चित्रकूट रामलीला समिति काशी के व्यवस्थापक मुकुंद उपाध्याय ने कहा कि यह आयोजन 480 वर्षों से अनवरत हो रहा है। रामलीला के चबूतरे पर संत मेघा भगत को भगवान श्रीराम का दर्शन हुआ था। उन्होंने अपने शरीर को त्याग दिया। तभी से इसका आयोजन किया जा रहा है।

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संकटमोचन मंदिर के महंत विश्वंभरनाथ मिश्र ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और भगवती सीता सस्वरूप प्रकट होते हैं। काशी का यही महत्व है कि आप भगवान का साक्षात्कार कर सकते हैं। यहां जो भीड़ उमड़ी है वह इसका प्रमाण है। भगवान राम परम ब्रह्म परमेश्वर हैं। यह शिव की नगरी है। भगवान राम यहां उपस्थित हुए हैं। यह बड़ी बात है। 

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सुरक्षा व्यवस्था रही चाक-चौबंद 
अपर पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था डा. एस चनपप्पा ने कहा कि नाटी इमली भरत मिलाप में भीड़ को देखते हुए समुचित पुलिस की व्यवस्था की गई है। पुलिस के साथ ही पीएसी व होमगार्ड के जवान भी तैनात किए गए। महिला सिपाही और सादे वस्त्रों में पुलिसकर्मी लगाए गए। सीसीटीवी कैमरे के जरिये भी निगरानी की गई। व्यवस्था बनाए ऱखने में एनजीओ के वालंटियर्स का भी सहयोग मिला।

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