ब्रिटिश सरकार की नाक के नीचे कुएं के पानी से कराया गया था भारत माता मंदिर का निर्माण, पढ़िए इसका रोचक इतिहास

Bharat mata mandir
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रिपोर्ट - राजेश अग्रहरि

वाराणसी। बनारस के सिगरा स्थित भारत माता मंदिर में प्रसाद के रूप में राष्ट्रवाद मिलता है। इस मंदिर में किसी देवी-देवता की मूर्ति नहीं, बल्कि अखंड भारत के मानचित्र को लोग भारत माता के रूप में श्रद्धा से शीश नवाते हैं। देश-विदेश से इस मंदिर में हजारों लोग हर वर्ष मंदिर में भ्रमण व भारत माता के दर्शन के लिए आते हैं। 

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हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि हम भारतवासी प्रकृतिपूजक हैं। इसी तर्ज पर मंदिर परिसर में स्थित एक कुएं को भी श्रद्धालु श्रद्धा से शीश नवाते हैं। कुएं की मान्यता कुछ ऐसी है कि यहां जो भी श्रद्धालु आते हैं, वह इस कुएं से स्वयं पानी खींचकर निकालते हैं और पानी की मिठास का लुफ्त उठाते हैं। बताया जा रहा है कि इस कुएं का निर्माण वर्ष 1918 से पहले हुआ था। भारत माता मंदिर का निर्माण भी इसी कुंओं के पानी से हुआ था।  

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केयरटेकर राजू सिंह ने बताया कि परिसर में कभी तीन कुएं हुआ करते थे। बाद में दो कुएं बंद कर दिए गए। फिलहाल यहां पर एक ही कुआं बचा हुआ है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग इस कुएं का पानी पीकर अपनी आत्मा को तृप्त करते हैं। 

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राजू सिंह ने बताया कि ब्रिटिश काल में वर्ष 1918 में यह मंदिर बना था। उस दौरान सरकार से छुप छुप कर इस कुएं के पानी से भारत माता मंदिर का निर्माण कराया गया था। भारत माता मंदिर को बनाने में 25 मजदूर लगे थे। 

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