Basant Panchami 2025 : बाबा विश्वनाथ की नगरी में मां सरस्वती के द्वादश रूपों के होते हैं दर्शन, काशी में यहां स्थित है वाग्देवी का अनोखा मंदिर

वाराणसी। काशी की पहचान देश-दुनिया में बाबा विश्वनाथ की नगरी के रूप में है, लेकिन यहां ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती के द्वादश रूपों के दर्शन होते हैं। वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में वाग्देवी का अनोखा मंदिर स्थित है। यह उत्तर भारत का इकलौता मंदिर है, जहां मां सरस्वती द्वादश रूप में विराजमान हैं। छात्र-छात्राओं के साथ ही भक्त मां के दर्शन कर बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद मांगते हैं।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में ढाई दशक पहले मंदिर की स्थापित हुई थी। तभी से मां वाग्देवी के इस मंदिर का काफी महत्व है। इस मंदिर में सिर्फ विश्वविद्यालय के ही नहीं बल्कि शहर भर से छात्र-छात्रा मत्था टेकने आते हैं। छात्रों का दावा है कि यहां मां वाग्देवी के दर्शन मात्र से पढाई में एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ जाती है। मां सरस्वती के द्वादश विग्रहों के अलग-अलग नाम भी हैं। इनमें सरस्वती देवी, कमलाक्षी देवी, जया देवी, विजया देवी, सारंगी देवी, तुम्बरी देवी, भारती देवी, सुमंगला देवी, विद्याधरी देवी, सर्वविद्या देवी, शारदा देवी और श्रीदेवी है।
यहां मां की काले वर्ण की प्रतिमा है। मां वाग्देवी की मूर्ति के काले वर्ण के बारे में बताया जाता है कि यह मूर्ति तमिलनाडु से मंगाई गई थी। इस मूर्ति का अर्थ इस तरह से निकाला जा सकता है कि हमारे शास्त्र, वेद और पुराणों की रक्षा के लिए मां सरस्वती ने यह वर्ण धारण किया है। इस मंदिर की स्थापत्य शैली भी दक्षिण भारतीय है।
मंदिर के महंत सच्चिदानंद पांडेय ने बताया कि मंदिर की स्थापना कांची कामकोटि के शंकराचार्य ने की थी। यहां मां सरस्वती अलग-अलग 12 नाम और अलग-अलग रूपों में स्थापित हैं। यहां सुबह-शाम आरती होती है। उन्होंने बताया कि काशी में एक यहीं मां सरस्वती का मंदिर है। बसंत पंचमी की पूजा बुद्धि और विद्या की प्राप्ति के लिए पूजा की जाती है। उन्होंने बताया कि माता सरस्वती को श्वेत वस्त्र और माला पहनती हैं और श्वेत रूप में इनको भोग लगाया जाता है। मां सरस्वती को चढ़ावे में सफेद फूल चढ़ाया जाता है। इससे मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।
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