‘बरसो बरसो रे काली बदरिया…' गर्मी से निजात के लिए गंगा में खड़े होकर किया शहनाई वादन, महेंद्र प्रसन्ना ने गाया राग मेघ

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वाराणसी। गर्मी से निजात पाने व इंद्रदेव को खुश करने के लिए शनिवार को वाराणसी के अस्सी घाट पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य शहनाई वादक पंडित महेंद्र प्रसन्ना ने मां गंगा की गोद में खड़े होकर शहनाई बजाई। इससे पहले महेंद्र प्रसन्ना व सहयोगी कलाकारों ने बाबा विश्वनाथ को नमन करते हुए मां गंगा का पंडोपचार व षोड्सोपचार सविधि पूजन अर्चन किया। 

मुख्य शहनाई वादक पंडित महेंद्र प्रसन्ना ने कहा- मैं पिछले 15 वर्षों से भगवान इंद्र को खुश करने के लिए शहनाई बजाता हूं। उन्होंने कहा कि इस बार भीषण गर्मी पड़ रही है जिससे लोग काफी परेशान हो गए हैं। मैंने मां गंगा का पूजन किया और उसके बाद भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए शहनाई के द्वारा "राग मेघा" और बधाई धुन बजाया। उन्होंने कहा कि निश्चय ही 24 घंटे बाद वाराणसी में बारिश होगी। 

महेंद्र प्रसन्ना ने राग मेघ की प्रस्तुति के साथ '... बरसो बरसो रे काली बदरिया', '... झिमिर झिमिर बरसो इंद्र काशी नगरिया' गीत पर शहनाई की धुन बजाई। उन्होंने कहा कि संगीत के इतिहास में चकित करने वाले ऐसे तमाम प्रसंग हैं। संगीत पुरखों से प्रेरित परंपरा के तहत वाराणसी में इंद्रदेव को प्रसन्न करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि बारिश कि बूंदें खुशहाली लेकर आएं। उन्होंने कहा कि अब उमस ने कई दिनों से आसमान से आग बरसा रहे भगवान भाष्कर कुछ नरम हुए तो उमस भरी गर्मी से लोग परेशान हैं।
 

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